प्रदेश में जिस तेजी से कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है वह बेहद गंभीर है। लगता नहीं कि सरकार सहित संबंधित एजेंसियों की इस भयावहता पर नजर है। यदि होती तो शायद अब तक प्रदेश में कुछ दिन का लॉकडाउन लग चुका होता, जिससे तेजी से बढ़ते लगाम लगती। उत्तराखंड को लेकर राज्य में और राज्य के बाहर भी ऐसी धारणा है कि यहां कोरोना के मामले बहुत ज्यादा नहीं हैं। आज की तारीख में देखें तो यहां 48319 सक्रिय मामले हैं जबकि तमाम प्रदेशों में इनकी संख्या लाखों में है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में तो तीन लाख से ज्यादा और दिल्ली में 97 हजार से ज्यादा मामले हैं। दिल्ली को लेकर तो सारे देश और मीडिया में हंगामा है कि वहां हालात बेहद गंभीर हैं।लेकिन सच्चाई यह है कि यदि प्रति लाख जनसंख्या पर कोरोना संक्रमित मामलों के आधार पर देखें तो उत्तराखंड दिल्ली से बहुत बहुत आगे है। दिल्ली ही नहीं देश के अधिकतर प्रदेशों से ज्यादा गंभीर हालात उत्तराखंड में हैं। प्रति एक लाख आबादी पर सक्रिय मामलों में केवल तीन राज्य उत्तराखंड से आगे हैं जिनमें दो उत्तराखंड से मामूली रूप से ही आगे हैं। खास बात यह है कि इनमें से दो में लॉकडाउन है और उत्तराखंड से पीछे चल रहे राज्यों में भी दो से तीन दिन का वीकेंड लॉकडाउन है। हालात की गंभीरता और अभी भी बाजारों में आ रही भीड़ को देखते हुए उत्तराखंड में लगता नहीं कि अपेक्षित सख्ती बरती जा रही है।आंकड़ों पर नजर डालें तो उत्तराखंड में आज प्रति एक लाख आबादी पर 460 लोग संक्रमित हैं। इसकी तुलना में केवल महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल आगे हैं। केरल इस सूची में सबसे ऊपर है जहां एक लाख आबादी में 822 संक्रमित हैं। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र में एक लाख पर 589 और कर्नाटक में एक लाख पर 502 सक्रिय संक्रमित हैं।खास बात यह है कि केरल कर्नाटक और महाराष्ट्र को लेकर पूरे देश में भारी चिंता है जो कि उत्तराखंड को लेकर नहीं दिखती। साथ ही महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल में लॉकडाउन लगा हुआ है। हालांकि कर्नाटक में इसे लॉकडाउन न कह कर क्लोज डाउन कहा जा रहा है।उत्तराखंड से बहुत पीछे चल रहे हरियाणा (प्रति लाख पर 323 मामले) में वीकेंड लॉकडाउन है और दिल्ली (324 मामले प्रति लाख) में अरविंद केजरीवाल बहुत पहले ही लॉकडाउन की घोषणा कर चुके हैं। यह भी ध्यान देने योग्य है कि जिन प्रदेशों में कोरोना को लेकर बहुत ज्यादा गंभीर हालात बताए जा रहे हैं वे दरअसल उत्तराखंड से बहुत पीछे हैं,
इनमें उतर प्रदेश (151 सक्रिय मामले प्रति लाख), पंजाब (180 सक्रिय मामले प्रति लाख), राजस्थान (205 सक्रिय मामले प्रति लाख), बंगाल (110 सक्रिय मामले प्रति लाख), मध्य प्रदेश (108 सक्रिय मामले प्रति लाख), बिहार (186 सक्रिय मामले प्रति लाख) उल्लेखनीय हैं। अधिकांश अन्य प्रदेशों में भी यह आंकड़ा 200 प्रति लाख से नीचे है है। जबकि पूरे देश में प्रति लाख आबादी पर 233 सक्रिय मामले हैं। ऐसे में यह बहुत साफ है कि कुछ दिन के लॉकडाउन के बगैर यहां स्थिति नियंत्रण में आती नजर नहीं आ रही।