साल 2021 में प्रदेश सरकार ने कोविड में अनाथ हुए बच्चों के लिए वात्सल्य तो बेटियों को महालक्ष्मी योजना का कवच प्रदान किया, लेकिन तीलू रौतेली पुरस्कारों के चयन पर सवाल उठे। विभागीय मंत्री और एक आईएएस अधिकारी के बीच छिड़ी ‘जंग’ पर खूब सियासी बवाल मचा और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दखल से विवाद थमा।
प्रदेश सरकार ने कोविड में अनाथ हुए बच्चों की देखभाल, पुनर्वास और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना शुरू की। जिसके तहत अब तक तीन हजार से अधिक बच्चों को योजना का लाभ मिला है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद को इन बच्चों का मामा और मंत्री रेखा आर्य ने बुआ बताते हुए इनके लिए हरसंभव मदद का वादा किया।
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत एक मार्च 2020 से 31 मार्च 2022 तक की अवधि में कोविड-19 महामारी एवं अन्य बीमारियों से माता, पिता, संरक्षक की मृत्यु के कारण जन्म से 21 वर्ष तक के प्रभावित बच्चों की देखभाल पुनर्वास चल-अचल संपत्ति एवं उत्तराधिकारों एवं विधिक अधिकारों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना शुरू की गई। योजना के तहत ऐसे बच्चों को हर महीने तीन हजार रुपये दिए जा रहे हैं।
इसके अलावा निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गई है। सरकारी नौकरी में भी इन बच्चों को पांच फीसदी का आरक्षण मिलेगा। इसके अलावा सरकार की ओर से बेटियों के लिए महालक्ष्मी सुरक्षा कवच प्रदान किया गया है। महिलाओं को एक महालक्ष्मी किट उपलब्ध कराई जा रही है। जिसमें वह सभी सामान शामिल है जो प्रसव के दौरान जरूरी होता है।