उत्तराखंड में चार धाम यात्रा शुरू होते ही व्यवस्था पर उठा सवाल, यात्रियों को हो रही परेशानी

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देहरादून। उत्तराखंड में चार धाम यात्रा शुरू हुए करीब दस दिन हो चुके हैं। इस अरसे में 17,500 से ज्यादा श्रद्धालु बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में दर्शन कर चुके हैं। धामों में दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह है, लेकिन व्यवस्थाओं में खामियों के चलते कहीं-कहीं यह उत्साह समस्या का कारण भी बन रहा है। कोविड गाइड लाइन को देखते हुए उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीमित संख्या में यात्रियों को धामों में प्रवेश दिया जा रहा है। इसके तहत एक दिन में बदरीनाथ में अधिकतम 1000, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 यात्रियों की ही अनुमति है।

यात्रियों को स्मार्ट सिटी पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य

यात्रियों के लिए स्मार्ट सिटी पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य है। उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पंजीकृत यात्रियों के लिए ई-पास जारी कर रहा है। यहां तक तो सब ठीक है, लेकिन समस्या तब आ रही है कि जब जिन श्रद्धालुओं को ई-पास जारी किया गया है वे किसी कारण से धाम में नहीं आ पा रहे। वहीं सैकड़ों लोग ऐसे हैं जिनका पंजीकरण तो है, लेकिन ई-पास नहीं है। ये सभी धाम के प्रमुख पड़ावों पर पहुंचकर हंगामा कर रहे हैं। विशेषकर यमुनोत्री में यात्री कई बार हंगामा कर चुके हैं। यही वजह है कि पिछले दिनों शासन ने ऐसे यात्रियों के लिए आफ लाइन पास जारी करने के आदेश दे दिए। संबंधित जिलों का प्रशासन मौके पर ही इन यात्रियों के लिए आफ लाइन पास जारी कर रहा है, बावजूद इसके यमुनोत्री धाम में समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा।

वजह हाई कोर्ट के निर्देशानुसार धाम में एक दिन में सिर्फ 400 यात्री ही जा सकते हैं, वहीं इंतजार कर रहे यात्रियों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है।

सवाल उठता है कि जब धाम में दर्शन करने वाले यात्रियों की संख्या निर्धारित है तो इतनी बड़ी तादाद में यात्रियों को धाम की ओर क्यों रवाना किया जा रहा है। यात्रियों की संख्या को ऋषिकेश अथवा देहरादून से ही क्यों नहीं नियंत्रित किया जा रहा है। यदि स्थिति यही रही तो धामों में कानून-व्यवस्था का मसला भी खड़ा हो सकता है। हालांकि मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार सक्रिय हुई है। जल्द ही उच्च न्यायालय से यात्रियों की अधिकतम संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया जाएगा।

इसके अलावा पंजीकरण को आधार से लिंक करने के साथ ही यात्रियों को ई-पास निरस्त करने की सुविधा भी दी जाएगी। नि:संदेह इससे यात्रियों को राहत मिलेगी, लेकिन यह देर से उठाया गया दुरुस्त कदम है। इससे यह भी पता चल रहा है कि जिम्मेदारों ने यात्र की तैयारियों के लिए पर्याप्त होमवर्क नहीं किया। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब इस तरह की समस्याएं देखने को नहीं मिलेंगी। बात चाहे आफ लाइन पास की हो या पंजीकरण अथवा ई-पास को लेकर पोर्टल में आ रही समस्या, अफसरों को इनका समय पर निदान करना चाहिए। 

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