देहरादून: प्रदेश के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने गुरुवार को देहरादून में एक निजी होटल में उत्तराखण्ड राज्य के रेशम कीट पालकों के लिए भारतीय कृषि बीमा कंपनी द्वारा रेशम निदेशालय, उत्तराखण्ड के सहयोग से ‘सरल कृषि बीमा’ के उद्घाटन कार्यक्रम में प्रतिभाग रेशम कीट बीमा योजना का शुभारंभ किया।
राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा योजनाओं का संचालन
इस अवसर पर मंत्री गणेश जोशी ने अपने संबोधन में कहा किसानों के हितों के संरक्षण पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विशेष ध्यान है। उन्होंने कहा देश के किसानों के अधिक से अधिक लाभ मिले, किसानों के आर्थिक स्तर में सुधार हो इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर अनेकों योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।
किसानों को मुहैया कराया जा रहा फसल बीमा
प्राकृतिक कारणों से किसानों को होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाने के प्रयासों के लिए अनेकों सार्थक प्रयास राष्ट्रीय स्तर पर किये जा रहे हैं, जिसमें से एक फसल बीमा योजना का संचालन भी है। इसी को ध्यान में रखते हुए हमारे राज्य उत्तराखण्ड में भी कृषि कार्यों से जुड़े किसानों को प्राकृतिक कारणों से होने वाले नुकसान की भरपाई हेतु फसल बीमा के क्षेत्र में भारतीय कृषि बीमा कम्पनी द्वारा फसलों का बीमा किया जा रहा है।
फसलों की प्रतिपूर्ति के लिए दिए गए 480 करोड़
मंत्री गणेश जोशी ने कहा भारतीय कृषि बीमा कम्पनी द्वारा प्रदेश में वर्ष 2016 की खरीफ फसल से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है, मंत्री ने कहा इस योजना के अन्तर्गत अब तक 4.90 लाख किसानों को लगभग 480 करोड़ की धनराशि प्राकृतिक कारणों से उनकी फसलों की क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान की जा चुकी है।
रेशम कीट बीमा योजना का शुभारम्भ
सरकार की प्राथमिकता फसल बीमा योजना के साथ ही कृषि से संबद्ध अन्य क्षेत्रों से जुड़े किसानों जैसे- रेशम, मत्स्य, पशुपालन इत्यादि को भी योजना का लाभ पहुँचाने का है। इसी पहल के अन्तर्गत आज रेशम निदेशालय एवं भारतीय कृषि बीमा कम्पनी द्वारा सरल कृषि बीमा में रेशम कीट बीमा योजना का शुभारम्भ किया गया है।
उत्तराखंड बना देश का पहला राज्य
मंत्री ने कहा इस योजना के प्रारम्भ होने से उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है। मंत्री गणेश जोशी ने कहा वर्तमान समय में पूरे प्रदेश में रेशम के कार्यों से लगभग 12000 कृषक परिवार जुड़े हैं जिनमें से गतवर्ष 6691 किसानों द्वारा शहतूती रेशम का कीटपालन कार्य करते हुए लगभग 300 मी०टन रेशम कोये का उत्पादन किया है।
किसानों को नहीं मिल पाता मेहनताने का पूरा लाभ
चूँकि रेशम कीटपालन का कार्य करने के लिए मौसम का अनुकूल होना जरूरी होता है, अत्यधिक गर्मी या अत्यधिक वर्षा के कारण रेशम के कीटों में बीमारी आने की बहुत अधिक सम्भावना होती है, जिससे हमारे किसानों भाईयों को उनके मेहनताने का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
प्रदेश के 4 जनपदों में किया गया शुभारम्भ
उन्होंने कहा किसान भाईयों को होने वाले इस नुकसान से बचाने के लिए प्रदेश के चार जनपदों देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल एवं ऊधमसिंह नगर के 5 विकास – खण्ड़ों के 250 किसानों को वर्तमान में इस योजना से आच्छादित करते हुए पायलेट प्रोजैक्ट के रूप में योजना को प्रारम्भ करने का निर्णय भारतीय कृषि बीमा कम्पनी एवं विभाग द्वारा लिया गया है।
योजना के सफल होने पर पूरे प्रदेश के किसानों को लाभान्वित करेंगे
यदि योजना के उत्साहवर्धक परिणाम हमारे सामने होंगें तो आने वाले सालों में हम पूरे प्रदेश के रेशम से जुड़े किसानों को इस योजना के अन्तर्गत लाभान्वित करेंगें । मंत्री जोशी ने कहा मेरे संज्ञान लाया गया है कि राज्य के अधिकांश रेशम कीटपालन का कार्य कर रहे किसान लघु/ सीमान्त श्रेणी के हैं तथा आर्थिक रूप से सम्पन्न नहीं है। जिस कारण बीमित धनराशि के प्रीमियम का भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं।
राज्य सरकार द्वारा वहन की जाएगी घनराशि
आगे गणेश जोशी ने घोषणा करते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में बीमा प्रीमियम धनराशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा वहन किया जायेगा जिसके लिए निदेशक, रेशम उत्तराखण्ड, तत्काल प्रस्ताव तैयार कर शासन को उपलब्ध करायें।
रेशम फेडरेशन अध्यक्ष भी रहे मौजूद
इस अवसर पर रेशम फेडरेशन अध्यक्ष अजीत चौधरी, सीएमडी भारतीय कृषि बीमा कम्पनी गिरिजा सुब्रमन्यम, निदेशक रेशम विभाग आन्नद कुमार यादव, सीजीएम नाबार्ड वी.के. बिष्ट, डीजीएम आरबीआई मनोज कुमार, जीएम भारतीय कृषि बीमा कम्पनी डी.सिंह, सीईओ पशुपालन आर.के.नेगी, चाय बोर्ड निदेशक जगदीश कैंप सहित कई लोग उपस्थित रहे।