उत्तराखंड में बाल लिंगानुपात में सुधार हुआ है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट में प्रदेश में एक हजार बेटों पर 984 बेटियों का जन्म हो रहा है। इसके अलावा संस्थागत प्रसव में 21 प्रतिशत और मातृ-शिशु टीकाकरण में 40.28 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सोनिका ने नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के चलते बाल लिंगानुपात में सुधार हुआ है। प्रदेश में एक हजार बेटों पर 984 बेटियों जन्म ले रही हैं। जबकि 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में एक हजार बेटों पर 888 बेटियां ही जन्म ले रही थीं।
बाल लिंगानुपात में सुधार एक महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन है। जो मां के गर्भ में भ्रूण का लिंग परीक्षण की कुप्रवृत्ति में कमी को दर्शाता है। बेटियों के विकास के लिए यह एक सराहनीय पहल है। उत्तराखंड में गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव में सुधार हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने में 21 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में 83.29 प्रतिशत प्रसव सरकारी अस्पतालों में हो रहे हैं। इसके अलावा मातृ-शिशु के टीकाकरण में उछाल आया है। प्रदेश में टीकाकरण में 40.28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पहले टीकाकरण का स्तर 57.60 प्रतिशत था। जो बढ़ कर 80.80 प्रतिशत पहुंच गया है।