देहरादून। उत्तराखंड में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए अब ऐसे मार्गों पर बस संचालन बढ़ाने की तैयारी है, जिन्हें लाभ न देने वाले मार्गों में शामिल किया गया है। इसके लिए परिवहन निगम व प्राइवेट बस आपरेटरों को ऐसे मार्गों पर बस चलाने के लिए टैक्स में 75 प्रतिशत छूट दी जाएगी। इस संबंध में जल्द शासनादेश जारी होने की उम्मीद है। साथ ही इन मार्गों पर प्रवर्तन कार्य भी बढ़ाया जाएगा।
प्रदेश में सड़क दुर्घटना का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। हाल ही में चकराता में हुई वाहन दुर्घटना में यह बात सामने आई कि जिस मार्ग पर यह दुर्घटना हुई, वहां बसों का संचालन नहीं होता है। इस कारण स्थानीय निवासियों को आने-जाने के लिए जो भी संसाधन उपलब्ध होता है, वे उसी से सफर करते हैं। यही कारण रहा कि चकराता में बायला गांव में दुर्घटनाग्रस्त वाहन मे क्षमता से तीन गुना अधिक सवारी थी।
बात करें जौनसार बावर की तो यहां चकराता, त्यूणी और कालसी में तकरीबन ढाई लाख की आबादी है। इस पूरे क्षेत्र में परिवहन निगम की चार और तीन निजी बसें संचालित हो रही हैं, वे भी केवल मुख्य मार्गों पर। इस कारण स्थानीय लोग छोटे वाहनों में सफर करते हैं जो अधिकांश ओवरलोड होते हैं। यही स्थिति टिहरी, पौड़ी, चमोली उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों की है। इसे देखते हुए परिवहन विभाग इन मार्गों पर परिवहन निगम और निजी आपरेटरों को बसों के संचालन के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
इसी कड़ी में यह निर्णय लिया गया है कि इन मार्गों पर संचालित होने वाली बसों को टैक्स में 75 फीसद छूट दी जाएगी, ताकि उन्हें वाहन संचालन में आर्थिक नुकसान न उठाना पड़े और यात्रियों को सुविधा भी मिल सके। इस संबंध में जल्द शासनादेश जारी होने की उम्मीद जताई जा रही है। उप आयुक्त परिवहन एसके सिंह ने कहा है कि पर्वतीय क्षेत्रों के बिना लाभ वाले मार्गों पर बसों का संचालन बढ़ाने के लिए यह योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में प्रवर्तन की कार्रवाई में तेजी लाई जाएगी।