देहरादून। विधायकों के वेतन और निर्वाचन क्षेत्र और सचिवीय भत्तों में 30 फीसद कटौती कर कोविड फंड में जमा कराने संबंधी कैबिनेट के निर्णय के अनुपालन के लिए सरकार अब अध्यादेश लाने जा रही है। सरकार के प्रवक्ता और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के अनुसार कैबिनेट की आगामी बैठक में यह विषय लाया जाएगा।
कैबिनेट ने केंद्र की तर्ज पर राज्य में भी मंत्री, विधायकों के वेतन और निर्वाचन क्षेत्र और सचिवीय भत्ते में 30 फीसद कटौती का निर्णय लिया। यह कटौती अप्रैल से सालभर के लिए नियत की गई। इस बीच यह बात सामने आई कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों का वेतन तो सचिवालय से निकलता है, जबकि विधायकों के वेतन-भत्ते अलग एक्ट से संचालित होते हैं। ऐसे में एक्ट में संशोधन किया जाना चाहिए या फिर सत्र न होने के मद्देनजर सरकार अध्यादेश ला सकती है। इसे देखते हुए बाद में कटौती को एच्छिक कर दिया गया।
यही नहीं, नियमानुसार वेतन-भत्तों में कटौती के संबंध में विधानसभा ने भी विधायकों से सहमति मांगी। लंबे इंतजार के बाद सहमति मिलने पर इसके आधार पर विधानसभा ने विधायकों के वेतन-भत्तों में कटौती शुरू की। बाद में विपक्ष कांग्रेस ने सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी का हवाला देते हुए खुलासा किया कि सत्ता पक्ष के विधायक ही कैबिनेट के फैसले का अनुपालन नहीं कर रहे। इसके बाद वेतन भत्तों में कटौती को लेकर सियासत गर्मा गई।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर भाजपा के तमाम विधायकों की भांति कांग्रेस विधायक दल के सदस्यों के मूल वेतन से ही 30 फीसद कटौती का प्रस्ताव दिया। हालांकि, भाजपा विधायकों और पार्टी की ओर से वेतन कटौती के मामले में असमंजस होने की बात कही गई। साथ ही यह भी कहा गया कि वे कैबिनेट के फैसले के अनुरूप वेतन-भत्तों में कटौती कराएंगे।
अब सरकार यह सुनिश्चित करने जा रही कि सभी विधायकों के वेतन-भत्तों से 30 फीसद कटौती को विधिक रूप दे दिया जाए। सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के अनुसार इस सिलसिले में सरकार अध्यादेश लाने जा रही है। आगामी कैबिनेट में यह विषय रखा जाएगा।