राज्य में विकास प्राधिकरणों के अधीन शहर से सटे इलाकों में नक्शा पास कराना सस्ता होगा। अभी शहरी क्षेत्रों के मुकाबले बाहरी क्षेत्रों में सब डिविजनल शुल्क ज्यादा है। आवास विभाग सब डिविजनल शुल्क खत्म करने जा रहा है। भवनों का नक्शा पास कराने के लिए अभी विकास प्राधिकरण को मानचित्र, सब डिविजनल, विकास, सुपरविजन आदि शुल्क व लेबर सेस अलग-अलग देना होता है। अब विभाग यह सब शुल्क खत्म कर एक शुल्क तय कर रहा है। इस से शहर से सटे क्षेत्रों में नक्शे पास कराना सस्ता हो जाएगा। इसमें बड़ा फर्क सब डिविजनल शुल्क खत्म होने से पड़ेगा। प्राधिकरण तर्क देता है कि बाहरी क्षेत्रों के विकास पर ज्यादा खर्च आता है, ऐसे में वहां सब डिविजनल शुल्क सर्किल रेट के पांच प्रतिशत तक वसूला जाता है। विकसित क्षेत्रों में यह एक फीसद ही है। सचिव आवास शैलेश बगौली ने कहा, शुल्क निर्धारण प्रक्रिया सरल कर रहे हैं। इससे शुल्क कम होने की उम्मीद है।
ऑल प्रोफेशनल इंजीनियर्स एंड टेक्निकल, उत्तराखंड के अध्यक्ष अरविंद वर्मा के मुताबिक, सब डिविजनल चार्ज से नक्शे की लागत में बड़ा अंतर आ रहा है। उदाहरण के लिए देहरादून नगर निगम क्षेत्र के पुराने 60 वार्ड में सब डिविजनल चार्ज एक प्रतिशत है, जबकि नए 40 वार्ड सहित पछवा व परवादून के क्षेत्र में यह पांच फीसदी है। कॉमर्शियल निर्माण पर इसकी दर सात प्रतिशत तक है। वर्मा के मुताबिक, इसी के साथ लेबर सेस की अनिवार्यता भी निजी निर्माण से खत्म की जाए।