देवो की भूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड मे देवियां सुरक्षित नहीं है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि आंकडों से इसका खुलासा हुआ है। आंकड़े बता रहे है कि किस तरह कभी शांत वादियों और आध्यात्म के लिए पहचाना जाने वाला उत्तराखंड अब महिला अपराधों के लिए गिना जा रहा है। लूट,हत्या,दुष्कर्म और अत्याचार करने वाली घटानाएं अब देवभूमि के लिए एक आम बात हो गई है। देवभूमि को शर्मसार करती घटनाएं लगातार सामने आ रही है।
बता दें कि आंकड़ों के मुताबिक कुमाऊं मंडल में महिला अपराध की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। महिला अपराध में सबसे ज्यादा घटनाएं बलात्कार और छेड़खानी की है। , इस साल यानी 2021 जनवरी से जून माह तक महिला अपराध के मामले में काफी वृद्धि देखी गई है। जिसमें 5 हत्या, 153 बलात्कार, 18 दहेज हत्या, अपहरण के 53 मामले, छेड़छाड़ के 164 मामले, महिला के प्रति क्रूरता 170 मामले और 301 अन्य महिला अपराध के मामले पुलिस ने दर्ज किये हैं. जबकि पिछले वर्ष 2020 में जनवरी से जून माह तक यानी 6 महीने में 4 हत्या, 102 बलात्कार, 13 दहेज हत्या, 35 अपहरण, 103 छेड़छाड़ की घटनाएं, 151 महिला के प्रति क्रूरता, जबकि 187 महिला संबंधी अन्य अपराध के मामले में मुकदमे की कार्रवाई की गई है।
आपको बता दें कि साल 2020 में जनवरी से जून माह तक पूरे कुमाऊं मंडल में महिला अपराध के कुश 597 मामले सामने आए थे। वहीं, इस साल 2021 में इनकी संख्या बढ़कर 870 हो गई है। ऐसे में लगातार बढ़ते महिला अपराध पुलिस के लिए भी चिंता का विषय बन रहा है। लिहाजा, महिला अपराध रोकने के लिए पुलिस जन जागरूकता अभियान भी चला रही है। इसके अलावा सभी थानों में महिला डेस्क खोला गया है. साथ ही महिला हेल्पलाइन के माध्यम से महिला अपराध को रोकने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा स्कूल के बाहर बच्चियों को सुरक्षा के मद्देनजर सादे वर्दी में पुलिसकर्मी तैनात किए जाते हैं। जबकि, नाबालिग बच्चों के मामले में पॉक्सो के तहत कार्रवाई की जाती है। उसके बावजूद भी महिला अपराध में दिनोंदिन वृद्धि हो रही है।