उत्तराखंड में हेल्थ केयर सेंटर नहीं कर रहे प्रदूषण के मानकों का पालन, कोरोनाकाल में बायोमेडिकल वेस्ट का सही निस्तारण नहीं

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प्रदेश में पांच सौ से ज्यादा हेल्थ केयर फेसेलिटी सेंटर प्रदूषण के मानकों का पालन नहीं कर रहे। कोरोनाकाल में भी खतरनाक बायोमेडिकल वेस्ट का सही निस्तारण नहीं किया जा रहा है। ऐसे में बिना पाल्यूशन की एनओसी के चल रहे इन सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इनको नोटिस देने शुरू कर दिए हैं।  प्रदेश में वर्तमान में करीब 45 सौ हेल्थकेयर सेंटर यानी अस्पताल, नर्सिंग होम, डेंटल अस्पताल आदि हैं। इनमें से करीब चार हजार ने तो पीसीबी में पंजीकरण करवा लिया है। यानी ये पीसीबी की निगरानी में हैं और उनमें खतरनाक बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण बोर्ड के मानकों के अनुसार हो रहा है। लेकिन बाकी बचे करीब पांच सौ ने पीसीबी में अब तक पंजीकरण नहीं करवाया है।

 बिना पंजीकरण वाले हेल्थ सेंटरों से प्रति दिन कितना बायोमेडिकल वेस्ट निकल रहा है, कैसे उसका निस्तारण हो रहा है इसकी कोई जानकारी पीसीबी के पास नहीं है। कोरोनाकाल में ये चिंता का विषय है क्योंकि अब सभी अस्पतालों या नर्सिंग होम को कोरोना के उपचार की छूट है। ऐसे में किस तरह का वेस्ट वहां से निकल रहा है और कहां उसका निस्तारण किया जा रहा है ये काफी अहम है। यदि कोरोना मरीजों के इस्तेमाल किए गए मास्क आदि सामग्री का यदि ठीक ढंग से निस्तारण नहीं किया गया तो यह बेहद खतरनाक हो सकता है।

पीसीबी ने अब बिना पंजीकरण वाले हेल्थ सेंटरों पर जुर्माना लगाना और नोटिस देना शुरू कर दिया है। सभी हेल्थ सेंटरों को 31 मार्च तक मुफ्त रजिस्ट्रेशन का मौका दिया था। लेकिन फिर भी इन्होंने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया। अब इनके खिलाफ पचास हजार जुर्माना या सीलिंग तक की कार्रवाई हो सकती है।

अब तक करीब चार हजार हेल्थकेयर सेंटरों ने रजिस्ट्रेशन करवा दिया है। इन सबमें खतरनाक बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण पर निगरानी रखी जा रही है। लेकिन अभी चार-पांच सौ बचे हैं। वे किस तरह से बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण कर रहे हैं, इसकी निगरानी नहीं हो पा रही। ऐसे सेंटरों को जल्द 2002 से अब तक की फीस के साथ रजिस्ट्रेशन कराने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद कार्रवाई करेंगे।
डा. अंकुर कंसल, पर्यावरण वैज्ञानिक, पीसीबी

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