उत्तराखंड में 905 स्कूल आज भी ऐसे, जहां बालिकाओं के लिए नही हैं शौचालय

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देहरादून। उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छुपी नहीं है। कई स्कूलों के भवनों की हालत जर्जर बनी हुई है तो कई स्कूलों में पीने के पानी व शौचालय तक की उचित व्यवस्था नहीं है। यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफार्मेशन सिस्टम फार एजुकेशन (यूडाइस) प्लस के वर्ष 2019-20 के सर्वे में इसकी पुष्टि हुई है, जिसके अनुसार प्रदेश के 905 स्कूलों में छात्राओं के लिए तो 919 स्कूलों में छात्रों के लिए शौचालय तक नहीं हैं। इससे उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

यूडाइस के सर्वे में प्रदेश के 11653 प्राथमिक विद्यालय शामिल किए गए थे, जिनमें से 10930 स्कूलों में शौचालय की सुविधा है। जबकि, 748 स्कूल ऐसे हैं, जहां बालिकाओं और 723 स्कूलों में बालकों के लिए या तो शौचालय हैं ही नहीं या फिर इस्तेमाल करने की हालत में नहीं हैं। सर्वे में शामिल माध्यमिक के 2618 स्कूलों में से 2422 स्कूलों में शौचालय पाए गए, जबकि 157 स्कूलों में बालिकाओं और 196 स्कूलों में बालकों के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं मिली।

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री ने की थी शौचालय बनाने की घोषणा

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ‘स्वच्छ भारत मिशन’ कार्यक्रम की घोषणा करने के साथ ही हर स्कूल में बालिकाओं के लिए एक साल के भीतर अलग शौचालय बनाने की घोषणा की थी। स्कूलों में शौचालय बनाने के लिए समग्र शिक्षा अभियान, स्वजल विभाग और स्वच्छ भारत कोष से पैसा जारी होता है।

पिछले आठ सालों में करोड़ों का बजट जारी होने के बाद भी अब तक स्कूलों में शौचालयों की हालत में सुधार नहीं आ सका है। समग्र शिक्षा अभियान के अपर राज्य परियोजना निदेशक डा. मुकुल कुमार सती के अनुसार पूर्व में राज्य में यह लक्ष्य पूरा किया जा चुका है, लेकिन हर साल बारिश, आपदा और दूसरे कारणों से शौचालय की बिल्डिंग या पानी की लाइन क्षतिग्रस्त होने के चलते शौचालय इस्तेमाल में नहीं आ पाते।

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