उत्तराखंड रोडवेज की ‘दिवाली’ मना गया रक्षाबंधन, टूटा 18 साल का ये रिकार्ड; जानिए

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देहरादून। कोरोना के कारण आर्थिक तंगी से गुजर रहे रोडवेज के लिए रक्षाबंधन ‘दिवाली’ की तरह रहा। अक्टूबर-2003 में उत्तराखंड रोडवेज बनने के बाद पिछले 18 साल का रिकार्ड तोड़ते हुए रोडवेज ने रक्षाबंधन पर दो करोड़ रुपये की आय की। एक दिन में दो करोड़ रुपये का आंकड़ा रोडवेज केवल दिवाली-होली पर ही छू पाता है। रक्षाबंधन पर अभी तक का उसका रिकार्ड पौने दो करोड़ रुपये था, जो इस बार छूट गया। रोडवेज महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि यह सभी कार्मिकों की मेहनत का परिणाम है।

त्योहारी सीजन रोडवेज के लिए हमेशा सुखद रहता है। हालांकि, कोरोना काल के कारण पिछले साल रक्षाबंधन पर रोडवेज ने एक करोड़ का आंकड़ा भी नहीं पार किया था। दरअसल, पिछले साल रक्षाबंधन पर्व पर अंतरराज्यीय परिवहन 50 फीसद यात्री क्षमता की शर्त के साथ चल रहा था। ऐसे में आधी बस खाली चल रही थी, लेकिन इस बार यह शर्त नहीं थी, जिसका फायदा रोडवेज को मिला।

हालांकि, रोडवेज और अधिक लाभ ले सकता था, अगर प्रदेश में सभी बसों का संचालन होता। रक्षाबंधन पर कुल 887 बसों का संचालन हुआ, जबकि कर्मचारियों के अवकाश या ड्यूटी पर नहीं आने की वजह से 106 बसें स्थगित करनी पड़ी। वहीं, इस दौरान तीनों मंडलों में दून अव्वल रहा। प्रबंधन ने रक्षाबंधन पर तीनों मंडलों को लक्ष्य दिए थे। दून को 76.84 लाख रुपये आय का लक्ष्य दिया गया था। दून मंडल प्रबंधक संजय गुप्ता के अनुसार कुल आय दो करोड़ रुपये में दून मंडल ने एक करोड़ तीन लाख रुपये की आय की, जबकि बाकी 97 लाख रुपये नैनीताल व टनकपुर मंडल की आय रही।

34 हजार महिलाओं ने लिया लाभ

रक्षाबंधन पर रोडवेज बसों में मुफ्त यात्रा का लाभ 34 हजार से ऊपर महिलाओं ने लिया। रोडवेज मुख्यालय के अनुसार अभी कुछ बसें जो लंबी दूरी पर गई हुई थीं, वह लौटी नहीं हैं। उनके लौटने पर यह आंकड़ा कुछ और बढ़ सकता है। महाप्रबंधक जैन के अनुसार महिलाओं के सफर की किराया राशि करीब 26 लाख रुपये बैठ रही। जिसे डिपोवार दस्तावेजों के साथ राज्य सरकार को प्रतिपूर्ति के लिए भेजा जाएगा।

आंदोलन से 14 लाख का नुकसान

रक्षाबंधन के पूर्व दिवस यानी शनिवार को उत्तराखंड रोडवेज इंप्लाइज यूनियन की ओर से किए गए प्रदेशव्यापी आंदोलन के चलते रोडवेज प्रबंधन को लगभग 14 लाख रुपये का नुकसान हुआ। शनिवार को यूनियन से जुड़े कर्मचारियों के अवकाश पर रहने और हाजिरी लगाकर आंदोलन पर चले जाने की वजह से पूरे प्रदेश में 118 बसें स्थगित की गईं। इनमें दून मंडल में 20, नैनीताल मंडल में 44 और टनकपुर मंडल में 54 बस सेवा शामिल हैं। प्रबंधन के मुताबिक, अगर यह संचालित होती, तब इनकी अनुमानित आय 14 लाख रुपये की रहती। शनिवार को पूरे प्रदेश में 875 बसें संचालित हुईं और इनसे एक करोड़ 73 लाख रुपये की आय हुई।

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