देहरादून। कोरोना वायरस संक्रमण के लिहाज से उत्तराखंड फिलहाल सुकून की स्थिति में कहा जा सकता है। दरअसल, उत्तराखंड में अभी कोरोना वायरस की स्टेज वन ही है। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि यदि हम हर मोर्चे पर सख्ती बरतें तो इसे रोका जा सकता है। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग एक कारगर कदम है।
स्वास्थ्य महानिदेशालय सभागार में पत्रकारों से बातचीत में अपर सचिव एवं एनएचएम के मिशन निदेशक युगल किशोर पंत व स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि किसी भी महामारी के चार चरण होते हैं। कोविड-19 भी इससे अलग नहीं है। इसके भी चार चरण हैं। कॅरियर, लोकल ट्रांसमिशन, कम्यूनिटी ट्रांसमिशन व महामारी।
पहले चरण में मामले बाहर से आते हैं, दूसरे चरण में यह स्थानीय स्तर पर फैलता है। तीसरे चरण में यह कई लोगों को संक्रमित करता है और चैथे चरण में महामारी बन जाता है। यदि हम किसी एक मोर्चे पर सख्ती बरतें तो बाकि चरण में प्रवेश रोका जा सकता है। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग एक कारगर कदम है।
उन्होंने कहा कि जागरूकता के सामान्य माध्यमों जैसे साबुन से हैंडवॉश, बेवजह भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचने इत्यादि को अपनाएं तो अपने आप कोरोना से बचा जा सकता है। पत्रकार वार्ता में आइडीएसपी के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. पंकज, राज्य आइईसी अधिकारी जेसी पाण्डेय, ड्रग इंस्पेक्टर नीरज कुमार आदि मौजूद रहे।
हर व्यक्ति के लिए जरूरी नहीं मास्क
आइडीएसपी के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. पंकज ने एक बार फिर साफ किया कि हर किसी को मास्क पहनना जरूरी नहीं है। अगर आप स्वस्थ हैं तो आपको मास्क पहनने की जरूरत नहीं है। पर आप कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं, तो मास्क पहनें। इसके अलावा जिन लोगों को बुखार, कफ या सांस में तकलीफ की शिकायत है, उन्हें मास्क पहनना जरूरी है।