देहरादून। प्रदेश के सभी सरकारी व निजी अस्पतालों में आक्सीजन की आपूर्ति का सारा काम आनलाइन किया जाएगा। इसके लिए केरल सरकार व केरल एनआइसी के सहयोग से आक्सीजन प्रबंधन के लिए ”प्राणवायु’ नामक साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। इस साफ्टवेयर में सभी अस्पतालों का डेटा फीड कर दिया गया है। इसमें अस्पताल में आक्सीजन की वास्तविक जरूरत और आक्सीजन क्षमता के बारे में जानकारी उपलब्ध करा दी गई है।
अब इसमें आक्सीजन आपूर्तिकत्र्ताओं के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। इससे यह पता चल सकेगा कि जरूरत पडऩे पर कितनी आक्सीजन कहां से ली जा सकती है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में संक्रमितों में आक्सीजन की कमी के अधिसंख्य मामले सामने आए। इससे बाजार में अचानक ही आक्सीजन की मांग काफी तेजी से बढ़ गई। अस्पतालों में भी आक्सीजन की कमी महसूस की गई। स्थिति यह बन गई कि आक्सीजन के नियंत्रण को प्रदेश सरकार को अलग से नोडल अधिकारी की तैनाती करनी पड़ी। अस्पतालों में अचानक आक्सीजन की मांग बढऩे से कई बार विकट स्थिति का भी सामना करना पड़ा। अभी आक्सीजन सप्लाई के नोडल अधिकारी का जिम्मा सचिव परिवहन डा. रंजीत सिन्हा के पास है। उन्होंने आक्सीजन प्रबंधन के लिए केरल में बनाई गई व्यवस्था का अध्ययन किया और अब उन्हीं के सहयोग से यहां आक्सीजन प्रबंधन के लिए साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। इस साफ्टवेयर में मास्टर डेटा फीड कर दिया गया है। इसमें सभी अस्पताल, उनमें आक्सीजन बेड, आइसीयू और वेंटीलेटर की जानकारी भरी जा चुकी है। यह भी जानकारी दर्ज कर ली गई है कि सभी बेड के भरे होने पर कितनी आक्सीजन और सामान्यत: कितनी आक्सीजन की जरूरत होती है। अब इसमें आक्सीजन भरने वाली यूनिट, आक्सीजन बनाने वाले छोटी एयर सेपरेटर यूनिट और बड़ी तीन यूनिटों का डाटा फीड किया गया है। इन्हें एक लाग इन आइडी दी जाएगी। ये साफ्टवेयर में यह जानकारी दर्ज करेंगे कि कितनी आक्सीजन का उत्पादन हुआ है, कितनी खपत हुई और किस अस्पताल को कितनी आक्सीजन दी गई।
इसी तरह अस्पताल इसमें यह जानकारी देंगे कि उनकी मौजूदा जरूरत कितनी और मरीजों के हिसाब से अगले दिन उनकी जरूरत कितनी होगी। इसके हिसाब से पहले ही यह पता रहेगा कि अगले दिन कितनी आक्सीजन चाहिए और कहां से इसकी आपूर्ति की जा सकती है। विशेष यह कि इसमें कोविड और नान कोविड, दोनों ही अस्पतालों को शामिल किया गया है। सचिव परिवहन व आक्सीजन आपूर्ति के नोडल अधिकारी डा. रंजीत सिन्हा का कहना है कि साफ्टवेयर का ट्रायल शुरू किया जा चुका है। इसे माह के अंत तक शुरू कर दिया जाएगा।