उत्‍तराखंड में सुदूरवर्ती क्षेत्रों में खुलेंगे सामुदायिक रेडियो स्टेशन, आपदा प्रबंधन में होंगे मददगार साबित

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देहरादून। विषम भूगोल और आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में आने वाले दिनों में सामुदायिक रेडियो स्टेशन आपदा प्रबंधन में मददगार साबित होंगे। कैबिनेट के निर्णय के क्रम में शासन ने सामुदायिक रेडियो स्टेशन की स्थापना को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नई प्रोत्साहन नीति जारी कर दी है। इसका क्रियान्वयन यूएसडीएमए (उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के अंतर्गत होगा। नीति के अनुसार रेडियो स्टेशन की स्थापना के लिए सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को अधिकतम 20 लाख रुपये तक का अनुदान मिलेगा। साथ ही परिचालन को तीन साल तक चार-चार लाख रुपये की राशि दी जाएगी। सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रेडियो स्टेशन की स्थापना को प्राथमिकता दी जाएगी।

उत्तराखंड और आपदा का चोली दामन का साथ है। अतिवृष्टि, भूस्खलन, भूकंप जैसी आपदाओं से राज्य निरंतर जूझता आ रहा है। आपदा के समय सूचनाओं के आदान-प्रदान में अक्सर दिक्कतें आती रही हैं। इसे देखते हुए सरकार ने प्रदेश में सामुदायिक रेडियो स्टेशन को बढ़ावा देने का निश्चय किया। कैबिनेट की हाल में हुई बैठक में सामुदायिक रेडियो स्टेशन की स्थापना को नई प्रोत्साहन नीति पर मुहर लगाई गई।

नीति के अनुसार केंद्र सरकार के मानकों के अनुरूप स्थापित सामुदायिक रेडियो स्टेशन और शैक्षणिक संस्थानों के संचालन को लाइसेंस प्राप्त संस्थाएं व नए इच्छुक संस्थान इस नीति का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए इच्छुक संस्थान यूएसडीएमए में आवेदन कर सकते हैं। जांच पड़ताल के बाद ही संस्थाओं का चयन किया जाएगा। रेडियो स्टेशन की स्थापना को स्वीकृत लागत की 50 प्रतिशत राशि प्रथम किस्त के रूप में दी जाएगी और उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के बाद दूसरी किस्त जारी होगी। रेडियो स्टेशन की स्थापना में राजकीय विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, इंजीनियरिंग व मेडिकल कालेजों, निजी महाविद्यालयों, पालिटेक्निक संस्थानों को वरीयता दी जाएगी।

इसके मुख्य बिंदु

-सुदूरवर्ती और आपदा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में सामुदायिक रेडियो स्टेशन की स्थापना को वरीयता।

-अनुदान प्राप्त रेडियो स्टेशन से प्रसारित होने वाले जागरूकता कार्यक्रमों में गढ़वाली, कुमाऊंनी व जौनसारी बोलियों को प्राथमिकता।

-आपदा के दौरान सूचनाओं के आदान-प्रदान और आपदा प्रबंधन विभाग की सूचनाओं के प्रचार-प्रसार को प्राथमिकता।

-जिलाधिकारी प्रत्येक वर्ष सामुदायिक रेडियो स्टेशन का निरीक्षण कर शासन को भेजेंगे आख्या।

-यदि कोई संस्थान तीन साल तक रेडियो स्टेशन का परिचालन नहीं कर पाता है तो उससे अनुदान राशि वसूली जाएगी।

-डा धन सिंह रावत (मंत्री आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास) का कहना है कि सामुदायिक रेडियो स्टेशन की स्थापना को नई प्रोत्साहन नीति से स्वरोजगार के अवसर सृजित होंगे। साथ ही आपदा के समय सूचनाओं के आदान-प्रदान और विभागीय योजनाओं के प्रचार-प्रसार में मदद मिलेगी। सरकार का प्रयास है कि प्रत्येक जिले में कम से कम एक रेडियो स्टेशन स्थापित हो। इसमें राजकीय शैक्षणिक संस्थाओं और दूरस्थ क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी।

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