देहरादून। उत्तराखंड में सेवा एवं आतिथ्य क्षेत्र (सर्विस एवं हास्पिटेलिटी सेक्टर) को बढ़ावा देने के लिए नई सेवा नीति तैयार की जा रही है। इस नीति में सात घटकों को शामिल करते हुए इनमें निवेशकों को आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन देना प्रस्तावित किया गया है। नीति का उद्देश्य सेवा क्षेत्र में तेजी से विकास के लिए सरल, सक्रिय और उत्तरदायी तंत्र को विकसित करना है।
सेवा क्षेत्र की भारत के सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण सहभागिता है। सेवा क्षेत्र में विदेशी निवेश भी हुआ है। इससे देश को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। साथ ही बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी सृजित हुए हैं। उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें विकास की अपार संभावनाएं हैं। वर्ष 2020-21 में उत्तराखंड के घरेलू सकल उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 41 प्रतिशत रहा है। अभी यहां सेवा क्षेत्र के अंतर्गत पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम हो रहा है।
राज्य में सेवा क्षेत्र में और अधिक निवेश की संभावनाएं हैं। इसे देखते राज्य में सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सेवा नीति बनाई जानी प्रस्तावित की गई है। औद्योगिक विकास विभाग द्वारा इसका खाका तैयार किया गया है। इस नीति में सात घटकों को शामिल किया गया है। इनमें पर्यटन एवं आतिथ्य, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाएं, शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिक समर्थित सेवाएं, व्यावसायिक सेवाएं, खेल एवं व्यायाम और फिल्म एवं मनोरंजन शामिल हैं।
नीति में पर्यटन के क्षेत्र में उद्योग लगाने वालों को निवेश के अनुसार पांच श्रेणी में बांटा गया है। इसमें इन्हें 30 प्रतिशत निवेश प्रोत्साहन सहायता और ब्याज में छूट देने का प्रविधान किया गया है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगने वाले उद्योग व प्रयोगशालाओं के लिए भी इसी क्रम में वित्तीय प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है। शिक्षा के क्षेत्र में निवेशक को भूमि की लागत की प्रतिपूर्ति करना प्रस्तावित किया गया है। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में निवेश करने वालों को भी वित्तीय प्रोत्साहन देने की बात है। खेल व मनोरंजन के क्षेत्र में कुल लागत का 30 प्रतिशत की वित्तीय सहायता देने की व्यवस्था की गई है। अब उद्योग विभाग इस नीति को सुदृढ़ बनाने के लिए सुझाव आमंत्रित कर रहा है। हालांकि, यह नीति क्या स्वरूप लेगी यह नई सरकार तय करेगी।