देहरादून। ऊर्जा निगम के कार्मिक भी अब किसान आंदोलन के समर्थन में आगे आ गए हैं। उन्होंने कृषि कानून के साथ ही केंद्र के विद्युत संशोधन बिल का विरोध किया है। उन्होंने इसको किसानों और आमजन के विरोध में बताया। इसके साथ ही एसोसिएशन ने प्रदेशभर में आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
उत्तरांचल पावर इंजीनियर्स एसोशिएसन के अध्यक्ष युद्धवीर सिंह तोमर ने कहा कि कृषि कानून के विरोध में पिछले आठ दिन से संघर्षरत किसान विद्युत संशोधन बिल का भी विरोध कर रहे हैं। ऐसे में ऊर्जा कार्मिकों ने भी किसानों को समर्थन देने का निर्णय लिया है। बताया कि विद्युत संशोधन बिल का ड्राफ्ट जारी होते ही विद्युत अभियंताओं ने इसका पुरजोर विरोध किया था।
बिल में इस बात का प्रविधान है कि किसानों को बिजली टैरिफ में मिल रही सब्सिडी समाप्त कर दी जाए और बिजली की लागत से कम मूल्य पर किसानों सहित किसी भी उपभोक्ता को बिजली न दी जाए। एसोसिएशन के महासचिव मुकेश कुमार ने कहा कि बिल में इस बात का प्रविधान किया गया है कि सरकार चाहे तो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए किसानों को सब्सिडी दे सकती है, लेकिन इससे पहले किसानों को बिजली का पूरा बिल भुगतान करना होगा।
ये एक प्रकार से किसानों पर आर्थिक बोझ होगा। आरोप लगाया कि नए बिल के जरिए ऊर्जा निगमों का निजीकरण करने की योजना है। जिससे कारोबारी इस क्षेत्र में मुनाफा कमा सकें। उन्होंने चेतावनी दी कि एसोसिएशन निजीकरण के विरोध में प्रदेशभर में व्यापक आंदोलन शुरू किया जाएगा।