ऋषिकेश। जिला जल विद्युत परियोजना से जुड़े बैराज जलाशय में अचानक पानी सीमा रेखा पार कर गया। आनन-फानन विभाग को गंगा नदी में पानी छोड़ना पड़ा। अचानक पानी छोड़े जाने से हड़कंप मच गया। अनुरक्षण कार्य में लगे करीब डेढ़ दर्जन मजदूर सुरक्षित स्थान की ओर चले गए, जबकि पानी में कार्यदायी संस्थान की छह मशीनें डूब गई। जलाशय का अंतिम लेबल 333.50 मीटर है। पानी 336.50 मीटर तक पहुंच गया।
बैराज जलाशय से जिला परियोजना के लिए नहर के जरिये पानी भेजा जाता है। बैराज से आगे नदी की ओर पिछले एक माह से अनुरक्षण कार्य चल रहा है। जल विद्युत निगम सिविल की ओर से यह काम कराया जा रहा है। स्टारकॉम नाम की कंपनी को काम सौंपा गया है।
बैराज जलाशय का जलस्तर अचानक बढ़ गया। बैराज गेट से पूर्व विभाग के डिजाइन ऑफिस व अन्य जगह पानी घुस गया। जलाशय का स्तर अपनी सीमा को पार कर गया था। दोपहर करीब एक बजे विभाग की ओर से आधे घंटे का समय देकर खतरे का सायरन बजा दिया गया। बैराज से कुनाव गांव वाले छोर पर अनुरक्षण कार्य चल रहा था। बैराज के पंद्रह गेट में से गेट संख्या एक से चार तक के आगे काम चल रहा है। बाकी अन्य गेट भी बंद थे। विभाग के द्वारा गेट नंबर चार से आगे सभी गेट खोल दिए गए। जलाशय का पानी गंगा में तेजी के साथ आगे बढ़ा।
विभाग के द्वारा नदी के किनारे सैकड़ों की संख्या में प्लास्टिक के कट्टों में रेत भरकर दीवार बनाई गई थी। अधिसंख्य कट्टे पानी में बह गए। कंपनी की कई मशीन काम पर लगाई गई थी। इसमें चार इलेक्ट्रॉनिक और दो डीजल पंप सभी पानी में डूब गए। मौके पर करीब डेढ़ दर्जन मजदूर काम कर रहे थे। शॉर्ट पीरियड में किसी तरह से मजदूरों ने सुरक्षित जगह पहुंचकर स्वयं को बचाया। मजदूरों का कहना था कि मौके पर चल रही मशीन की आवाज में उन्हें सायरन नहीं सुनाई दिया।
अचानक उपजे हालात को देखते हुए बैराज इंचार्ज सहायक अभियंता अतुल कुमार शर्मा, सहायक अभियंता सिविल व वर्क इंचार्ज अतुल कुमार यादव, अवर अभियंता विद्युत एवं यांत्रिकी ङ्क्षवग पंकज पुंडीर, अवर अभियंता बैराज प्रियंका नेगी वहां पहुंचे। मौजूदा अधिकारियों ने बताया कि बैराज जलाशय का अंतिम लेबल 333.50 मीटर है। पानी 336.50 मीटर तक पहुंच गया। तीन मीटर पानी अचानक बढ़ने से यह स्थिति पैदा हुई। इससे किसी भी तरह का जान माल का नुकसान नहीं पहुंचा है।
अतुल कुमार यादव (सहायक अभियंता, जल विद्युत निगम) का कहना है कि चटक धूप निकलने से पहाड़ में बर्फ पिघली। श्रीनगर कोटेश्वर से पानी छोड़ा जाता है। पानी निर्धारित स्तर को पार कर गया। जिससे आधे घंटे पहले सायरन बजाने के बाद पानी छोड़ा गया। परियोजना की सुरक्षा को देखते हुए यह कदम पहले भी उठाए जाते रहे है।
जवाबदेही से बचते रहे अधिकारी
पिछले एक माह से बैराज से आगे गंगा में विभाग काम करा रहा है। गुरुवार को अचानक पानी छोड़े जाने से काम का काफी नुकसान हुआ है। मौके पर पानी में डूबी मशीनें इसका प्रमाण है। मगर, निचले स्तर के अधिकारी किसी भी तरह के नुकसान से इन्कार कर रहे हैं। जल विद्युत निगम के अधिशासी अभियंता मुकेश पांडे से जानकारी लेने के उद्देश्य से संपर्क किया गया तो मोबाइल पर घंटी जाने के बावजूद उन्होंने फोन नहीं उठाया। मौके पर काम कर रही कंपनी के परियोजना प्रबंधक भी बात करने से कतराते रहे।
आखिर जलाशय की पाउंडिंग क्यों नहीं आई नजर
बैराज जलाशय के गेट खोले जाने के पीछे जलाशय में क्षमता से अधिक पानी बढ़ने की बात कही जा रही है, लेकिन जल विद्युत निगम का यह तर्क गले नहीं उतर रहा है। बैराज जलाशय की पाउंडिंग की लगातार मॉनीटरिंग की जाती है। क्षमता से अधिक पानी बढ़ने पर धीरे-धीरे जरूरत के मुताबिक गेट खोले जाते हैं। इसके अलावा अपर स्ट्रीम से पानी की वृद्धि से संबंधित फोरकास्ट और केंद्रीय जल आयोग के आंकड़े भी नियमित रूप से कंट्रोल रूम तक पहुंचते हैं। ऐसे में बैराज जलाशय में एकाएक तीन मीटर तक की वृद्धि होना कहीं न कहीं जल विद्युत निगम की लापरवाही को दर्शाता है।