देहरादून। नेशनल स्टूडेंट यूनियन आफ इंडिया (एनएसयूआइ) ने कांग्रेस भवन देहरादून में ‘शिक्षा बचाओ, देश बचाओ’ अभियान की शुरुआत की। इस दौरान एनएसयूआइ के कार्यकर्त्ताओं ने कहा, नई शिक्षा नीति केंद्रीकरण और शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देती है। साथ ही यह शिक्षा विरोधी नीति तब लाई गई, जब पूरे देश में कोरोना का कहर का दौर था। उन्होंने मोदी सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि गरीब बच्चों के भविष्य के साथ यह सीधा खिलवाड़ है।
एनएसयूआइ के उदित थपलियाल ने कहा कि सरकारी संस्थानों के निजीकरण से देश के युवाओं के लिए स्थायी रोजगार के अवसर खत्म हो जाएंगे। अब तो नयी शिक्षा नीति भी निजीकरण को बढ़ावा दे रही या है तो गरीब जाए तो जाए कहां एसएससी, नेट जेईई जैसे सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में घोटाले सामने आना और युवाओं को वर्षों तक नौकरी नहीं देना यह साफ बताता है कि मोदी सरकार छात्र विरोधी है।
एनएसयूआइ के महानगर अध्यक्ष अभिषेक डोबरियाल ने कहा कि है कि जब से बीजेपी सरकार सत्ता में आई है, तब से छात्रों की फैलोशिप और स्कालरशिप रोकी जा रही हैं। प्रवेश परीक्षाओं में घोटाले हो रहे और परीक्षाओं के परिणाम देरी से आ रहे हैं। यही वजह है कि छात्रों के दो से तीन साल बर्बाद हो जाते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि केंद्रीय स्तर और प्रदेश स्तर पर छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में आयु सीमा में कम से कम दो साल की छूट दी जाए, क्योंकि कोरोना काल में छात्रों के दो साल पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। इसके साथ की एनएसयूआइ ने उत्तराखंड में छात्रसंघ चुनाव न किए जाने का भी विरोध किया है। उदित थपियाल ने कहा, पिछले दो साल से प्रदेश के सभी महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव नहीं हो पाये हैं, जिससे छात्रसंघ के पद दो वर्षों से रिक्त पड़े हैं। इससे महाविद्यालय के छात्रों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।