शुल्क कम करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे एमबीबीएस छात्र-छात्राओं के निर्धारित समय के बाद हॉस्टल में प्रवेश करने को लेकर बुधवार को एक बार फिर विवाद हो गया। कॉलेज प्रबंधन ने उन्हें बुधवार को फिर हॉस्टल में आने से रोक दिया। बाद में समझाबुझाकर उन्हें हॉस्टल भेजा गया।
करीब एक हफ्ते पहले कॉलेज प्रशासन ने धरने पर बैठी छात्राओं को हास्टल में आने से रोक दिया था। काफी प्रयास के बाद उन्हें हास्टल में आने दिया गया। साथ ही अल्टीमेटम दिया गया था कि वह धरने पर बैठीं तो अगले दिन से हॉस्टल में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। दून मेडिकल कॉलेज के 2019 व 2020 बैच के एमबीबीएस छात्र पिछले करीब 20 दिन से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैैं। उनका कहना है कि दो साल पहले दून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज से बांड खत्म कर दिया गया। बांड व्यवस्था खत्म होने से अब 50 हजार के बजाय करीब 4.25 लाख रुपये सालाना शुल्क देना पड़ रहा है। प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि कॉलेज और हॉस्टल में अनुशासन बनाए रखना प्रबंधन का दायित्व है। हॉस्टल में प्रवेश का समय निर्धारित होता है। छात्राओं से सिर्फ इतना कहा गया है कि वह समय पर हास्टल पहुंचें।