ऋषिकेश AIIMS, जहां एक ओर पहले उत्तराखंड के मरीजों को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए दिल्ली चंडीगढ़ या लखनऊ जैसे महानगरों के अस्पतालों पर ही निर्भर रहना पड़ता था, वहीं अब उत्तराखंड में एम्स अस्पताल यहां के मरीजों के लिए वरदान साबित होने लगा है । दूर दराज पहाड़ों से आने वाले लोगों को यहां आसानी से लाईलाज बीमारी का उपचार मिल रहा है, जो किसी वरदान से कम नहीं है ।ऋषिकेश एम्स अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजेश लाहिड़ी व उनकी टीम ने लगभग 7 घंटों तक लगातार चले ऑप्रेशन के बाद मरीज की जान बचाने में सफलता प्राप्त की है जो किसी चमत्कार से कम नहीं था ।
बताते चलें कि चमोली मैठाणा निवासी अरविंद मैठाणी को पिछले एक माह में दो बार अचानक से अटैक आने की वजह से सांस रुकने से भारी तकलीफों का सामना करना पड़ा । जिसके बाद उन्हें परिजनों द्वारा आनन-फानन में जिला चिकित्सालय गोपेश्वर ले जाया गया, जहां से उन्हें तुरन्त श्रीनगर मेडिकल कॉलेज रैफर किया गया था । लेकिन श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने मरीज की तकलीफ को गंभीर न बताते हुए उसे महज दो से तीन घंटे में ही डिस्चार्ज कर वापस उसके घर चमोली भेज दिया था । श्रीनगर मेडिकल कॉलेज ने इस बीमारी को मामूली पेनिक अटैक बताया था ।
■ श्रीनगर मेडिकल कालेज ने तो मामूली बीमारी बताते हुए मरीज को महज दो घंटे में ही डिस्चार्ज कर दिया था :
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से अरविंद द्वारा वापस मैठाणा चमोली पहुंचने के कुछ दिनों के अंतराल में ही फिर से अटैक पड़ गया । इस बार वह दोहरी सांस नहीं ले सके सभी लोग घबरा गए । फिर अचानक से एक बार फिर रात करीब 9 बजे उन्हें जिला चिकित्सालय गोपेश्वर ले जाया गया । जिला चिकित्सालय में कोई उपचार न मिलने के कारण परिजन कार से पेशेंट को तुरंत देहरादून ले आये । देहरादून में विशेषज्ञ चिकित्सकों से संपर्क किया गया और एक बड़े अस्पताल में बीमारी का पता चला जिसके बाद परिजन बुरी तरह घबरा गए थे । क्योंकि डॉक्टरों ने अरविंद के बार-बार सांस रुकने की समस्या को बेहद असाधारण घटना बताया । जांच में स्पष्ट हुआ कि अरविंद के हार्ट (दिल) में 2.5 इंच ( करीब 6 सेंटीमीटर) आलू के आकार में एक बड़ा ट्यूमर डेवलप हुआ है । जिसके कारण वह ब्लड सप्लाई को बाधित कर रहा था जिस कारण पेशेंट की अचानक से सांस रुक जाती व बेचैनी होने लगती थी । चिकित्सकों ने इसे बेहद खतरनाक बताया । जो कि मरीज के लिए हर सेकंड जान का खतरा बना हुआ था । अब एकमात्र उपाय था कि, विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा ट्यूमर को सही सलामत ऑपरेशन कर निकाला जाना ।