देहरादून। पुरानी कहावत है कि डूबते को तिनके का सहारा काफी होता है। इसी कड़ी में एसडीआरएफ का ऑटोमैटिक राफ्ट अब पानी में डूब रहे लोगों की जिंदगी बचाने में मददगार साबित होगा।
पानी में 30 किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से चलने वाला राफ्ट तीन किलोमीटर दूर तक सुरक्षा कवच बन सकता है। राफ्ट रिमोर्ट के इशारे पर हवा में बात करेगा। एसडीआरएफ ने ट्रायल के तौर पर दो राफ्ट लिए है। अगले साल प्र्रस्तावित महाकुंभ में भी राफ्ट डूबतों का सहारा बनेगा।
मंदाकिनी, अलकनंदा, भागीरथी, गंगा, यमुना, गंगोत्री, यमनोत्री, काली नदी के अलावा बरसाती नदियों में फंसने वाले लोगों की जिंदगी बचाने की चुनौती किसी से छिपी नहीं है। राज्य आपदा राहत बल (एसडीआरएफ) रेस्क्यू करने में अग्रणीय है।
गोताखोरों की मदद से 40 से अधिक लोगों की जिंदगी बचाई थी
हरिद्वार में इस साल हुए कांवड़ मेले के दौरान एसडीआरएफ ने अपने गोताखोरों की मदद से 40 से अधिक लोगों की जिंदगी बचाई थी। इसी कड़ी में एसडीआरएफ ने अब दो ऑटामैटिक राफ्ट को ट्रायल के तौर पर लिया है, ताकि पानी में फंसे लोगों को तत्काल राहत पहुंचाई जा सके।
एसडीआरएफ के पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल के मुताबिक पहले पानी में फंसे लोगों तक पहुंचने में गोताखोर को समय लगता था, जिससे कई लोग मौत के मुंह में चले जाते थे। ऑटोमैटिक राफ्ट मिनटों और सैंकड़ों में पानी में डूब रहे लोगों की मदद को पहुंच जाएगा।
इससे पानी में दूर फंसे लोगों को बचाना संभव हो सकेगा। पानी में राफ्ट की स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जो तीन किलोमीटर दूर तक राहत देने में कारगर होगा। महाकुंभ में भी राफ्ट का इस्तेमाल करने का प्लान है, ताकि श्रद्धालुओं के साथ होने वाली अनहोनी को टाला जा सके।