देहरादून। कोरोनाकाल में जरूरतमंदों की मदद के लिए कई हाथ उठे, लेकिन इनमें कुछ हाथ ऐसे भी थे, जिन्होंने कोरोनाकाल के इतिहास में खुद को रोशन कर दिया। इनमें से एक ऐसे ही कोरोना योद्धा हैं मनीष पंत। फायर ब्रिगेड देहरादून में सिपाही के पद पर तैनात मनीष पंत ने लॉकडाउन के दौरान ‘ऑपरेशन संजीवनी’ के तहत 120 जरूरतमंदों तक दवाइयां पहुंचाकर कई व्यक्तियों की जान बचाई।
22 मार्च को जनता कफ्र्यू के दौरान मनीष पंत की एक परिचित महिला का रक्तचाप अचानक से बढ़ गया। मनीष पंत दवाइयां लेने के लिए कई जगह गए, लेकिन दवाइयां नहीं मिली। आखिरकार वह श्री महंत इंदिरेश अस्पताल पहुंचे और किसी तरह दवाइयां लेकर आए, तब कहीं जाकर महिला का स्वास्थ्य ठीक हुआ। इसके बाद 23 मार्च से संपूर्ण लॉकडाउन ने लग गया। मनीष के दिमाग में यह बात घर कर गई कि जब राजधानी में आसानी से जीवन रक्षक दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं, तो दुर्गम क्षेत्रों में तो बुरा हाल होगा। उन्होंने दूर दराज क्षेत्रों में दवाइयां पहुंचाने का अभियान शुरू कर दिया। टीवी चैनलों पर रामायण चलने के कारण उन्होंने अपने अभियान का नाम ‘ऑपरेशन संजीवनी रखा’।
23 मार्च को मनीष पंत ने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट की कि यदि किसी को जीवनरक्षक दवाइयों की जरूरत होगी तो वह डॉ. की पर्ची व नाम, पते के साथ संपर्क करें। इसके बाद मनीष पंत की यह पोस्ट 531 व्यक्तियों ने शेयर की व जगह-जगह से दवाइयों के लिए फोन कॉल्स और डिमांड आने लगी। मनीष पंत ने आवश्यक सेवा वाहनों से दवाइयां भेजने शुरू कर दी। यही नहीं खुद चकराता, त्यूनी, टिहरी, उत्तरकाशी, पौड़ी, पिथौरागढ़, नैनीताल जैसे दूर दराज जनपदों में खुद अपनी स्कूटी से दवाइयां पहुंचाई।
अभियान पर असर न पड़े इसलिए शादी की तारीख आगे बढ़ाई
मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के पैठाणी क्षेत्र के रहने वाले मनीष पंत के स्वजनों की ओर से मई महीने में शादी की तिथि तय कर दी थी, लेकिन अभियान पर असर न पड़े, इसलिए उन्होंने शादी की तिथि ही आगे बढ़ा दी। दवाइयों के लिए मनीष ने कहीं से भी आर्थिक मदद नहीं ली।
कई संस्थाओं ने किया सम्मानित
मनीष पंत के इस लग्न और जरूरतमंदों की सहायता को देखते हुए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर राइज इंडिया अवार्ड और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शाइन वर्ल्ड केयर अवार्ड प्रदान किया गया है। मनीष पंत कहते हैं कि अगर सरकार साथ दें तो वह दुर्गम क्षेत्रों में ‘संजीवनी’ नाम पर मेडिकल स्टोर खोलना चाहते हैं ताकि जरूरतमंदों को दवाइयों के लिए इधर-उधर न भटकना पड़े।