ऑलवेदर रोड की भूमिका होगी सरहद की हिफाजत में महत्तवपूर्ण

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देहरादून। लद्दाख की गलवां घाटी में चीनी सैनिकों की दुस्साहसिक हरकत के बाद राज्य में निर्माणाधीन ऑलवेदर रोड परियोजना के जल्द पूरा करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। यह महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार ही नहीं बनेगी बल्कि सरहद की हिफाजत में भी इसकी अहम भूमिका होगी। 

परियोजना का निर्माण पूरा होने पर सीमांत जिले उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ की सीमाओं पर सेना की पहुंच और मजबूत हो सकेगी। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चैहान कहते हैं कि समय आ गया है कि परियोजना जल्द से जल्द पूरी हो और इसके लिए राज्य का हर नागरिक प्रेरक का कार्य करे। कुछ महीने पहले परियोजना का मुआयना करने पहुंचे केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल (रि.) वीके सिंह ने उम्मीद जाहिर की थी कि हरिद्वार महाकुंभ से पूर्व परियोजना का कार्य पूरा हो जाएगा। लेकिन इसके आसार कम ही हैं। परियोजना जिन अड़चनों के जंजाल में फंसी है, उससे सड़क को सीमांत इलाकों तक पहुंचने में काफी समय लग सकता है। 

उत्तराखंड में 345 किमी लंबे चीन सीमा की सुरक्षा पहुंच में आलवेदर रोड की अहम भूमिका होगी। पर्यावरणीय वजह से न्यायालय ने परियोजना में केवल उन्हीं कार्यों को चालू रखने की अनुमति दे रखी है, जिनमें पहले से काम चल रहा है। 889 किमी की इस परियोजना में 124 किमी लंबे धरासू -गंगोत्री के बीच 87 किमी मार्ग भागीरथी इको सेंसिटिव जोन के कारण वन भूमि व नाप भूमि अधिग्रहण लटका है।

विकल्प के लिए मुखबा से जो नया एलाइनमेंट बनाया गया। उसमें भी करीब आठ हजार पेड़ रास्ते में आ रहे हैं। सामरिक लिहाज से मार्ग का यह हिस्सा बेहद अहम है। दूसरी अड़चन जोशीमठ और कलियासौड़ में बाईपास मार्गों को लेकर है, जिनकी अनुमति मिलनी शेष है। बाकी प्राकृतिक चुनौतियां अलग कार्यदायी एजेंसियों की परीक्षा ले रही है। इन्हीं अड़चनों से 2019 तक बनने वाली सामरिक महत्व की इस परियोजना के कुछ हिस्सों पर काम नहीं हो पाया है। 

कहां कितने किमी सड़क का होना है निर्माण

मार्ग                                          किमी
 ऋषिकेश से रूद्रप्रयाग                 140 
रूद्रप्रयाग से माणा                       160   
ऋषिकेश से धरासू                        144   
धरासू से गंगोत्री                            124
धरासू से यमुनोत्री                           95 
रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड                      76 
टनकपुर से पिथौरागढ़                    150 
परियोजना की कुल लंबाई               889 
नोटर: परियोजना की कुल अनुमानित लागत 11700 करोड़ है 

चार एजेंसियां बना रही हैं सड़क
परियोजना में लोक निर्माण विभाग, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की पीआईयू, एनआईडीसीएल और बीआरओ को कुल 53 कार्य स्वीकृत हैं। इनमें सबसे अधिक 27 कार्य लोनिवि के पास हैं।
परियोजना की अब तक प्रगति
672 किमी के कार्य स्वीकृत हो चुके हैं।
213.83 करोड़ के 04 कार्य पूरे हो चुके हैं।
645 किमी पर 34 कार्यों पर काम चल रहा है।
806 किमी में वन भूमि है, 80 प्रतिशत हस्तांतरण पूरा।
647 किमी पर पेड़ों का कटान पूरा हो चुका है।
816.15 में 703 किमी यानी 86 प्रतिशत नाप भूमि अधिग्रहित।
529.05 करोड़ रुपये भू स्वामियों को मुआवजा भी बांटा जा चुका है।
672 से 605 किमी पर कोई व्यवधान नहीं है।
645 किमी पर सड़क बनाने का काम जारी है।
504 किमी सड़क का चैड़ीकरण कार्य पूरा हो चुका है।
324 किमी पर प्रोटेक्शन वाल व 85 किमी पर क्रैश बैरियर बनाए गए हैं।

परियोजना में जो कार्य लोक निर्माण विभाग को दिए गए हैं, उनमें तेजी से कार्य जारी है। बीच-बीच में कुछ व्यवधानों के बावजूद विभाग को सौंपे गए कार्यों को समय पर पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। 
– हरिओम शर्मा, विभागाध्यक्ष, लोनिवि

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