औषधीय और जैविक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकताः केंद्रीय कृषि मंत्री

0
215

देहरादून। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं, लेकिन अब भी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि औषधीय खेती और जैविक खेती को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। कृषि उत्पादों का निर्यात भारत सरकार की प्राथमिकताओं में है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराने के लिए कोशिशें की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नई नई फसलों को विकसित किए जाने की आवश्यकता है। इससे उत्पादकता बढ़ेगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि किसानों को इंश्योरेंस के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की 26वीं बैठक में उत्तराखंड के उद्यान, कृषि और रेशम विकास विभाग मंत्री सुबोध उनियाल ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिमालयी राज्यों में छोटे-छोटे किसानों की संख्या अधिक है। उनको ध्यान में रखते हुए योजनाओं को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यों में सिंचाई के दायरे को बढ़ाने के प्रयास किए जाएं। नए अध्यादेशों और फसल बीमा योजना का लाभ अधिक से अधिक किसानों को पहुंचे इसके प्रयास किए जाएं, जिससे हमारे किसान आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना योगदान दें सकें।

राज्य के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य में कृषि महिला आधारित है। इसलिए वुमन फ्रेंडली खेती की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैविक कृषि के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में शामिल है। ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए वनों के वेस्ट मटीरियल से खाद बनाने के लिए योजनाओं पर बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य में जैविक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सब्जी और फल फसलों में कीट नियंत्रण के लिए जैविक शोध कार्यक्रम चलाए जाने पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने राज्य के उत्पादों जैसे रेड राईस, राजमा, मंडुवा आदि की उन्नत किस्मों पर भी अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता बताई।

कृषि मंत्री उनियाल ने पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों के साथ ही कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाले बीजों पर भी रिसर्च किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्य के अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर क्षेत्रों के लिए उचित जलवायु अनुसार फसलों पर अधिकाधिक शोध कराए जाएं, जिससे सीमांत क्षेत्रों के किसानों की उत्पादन क्षमता बढ़े। इससे पलायन भी रोका जा सकेगा।

कृषि मंत्री उनियाल ने कहा कि राज्य में नींबू वर्गीय फलों के लिए कल्मी पौध रोपण के लिए आइसीएआर और उद्यान विभाग उत्तराखंड द्वारा नींबू वर्गीय फलों के नेटवर्क परियोजना को लागू किए जाने की मांग की। उन्होंने राज्य में आलू उत्पादन की अपार संभावनाओं के दृष्टिगत केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड राज्य में भी क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की भी मांग की। इस अवसर पर सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम और अन्य विभागीय वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY