नैनीताल: पिता यशपाल आर्य के साथ संजीव आर्य की कांग्रेस में वापसी के बाद नैनीताल सीट को लेकर हलचल बढ़ गई है। 2017 में नैनीताल सीट से भाजपा के संजीव आर्य को टिकट देने के बाद बगावत कर निर्दल मैदान में ताल ठोंकने वाले हेम आर्य ने 2018 में कांग्रेस ज्वाइन कर लिया था। वहीं अब एक बार फिर से उनकी घर वापसी हो गई है। हेम ने रविवार को बकायदा समर्थकों के साथ देहरादून में भाजपा ज्वाइन कर ली। कांग्रेस की पूर्व विधायक सरिता आर्य भी संजीव आर्य की वापसी के बाद से पार्टी के खिलाफ मुखर हो चुकी हैं। ऐसे में इस सीट से अब प्रत्याशी का चुनाव कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी।
दून में आयोजित कार्यक्रम में राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष ज्योति प्रसाद गैरोला की मौजूदगी में आर्य ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। बंसल ने कहा कि दोनों नेताओं ने बिना शर्त पार्टी में वापसी की है। वहीं भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले हेम आर्य ने कहा कि पूर्व में कुछ समय के लिए भटक गए थे, लेकिन घर वापसी के बाद वे सुकून महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा। कहा कि नैनीताल में भाजपा और मजबूत हुई है। पार्टी जिसे भी टिकट देगी, सभी उसकी जीत के लिए हर स्तर पर जुटेंगे।
संजीव की वापसी से नैनीताल में मची है हलचल
पूर्व विधायक संजीव आर्य की वापसी के बाद से नैनीताल कांग्रेस में हलचल मची हुई है। पूर्व विधायक और महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य संजीव आर्य की वापसी के बाद खुलकर विरोध में आ गई थीं। तब उन्होंने कहा कि उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह कांग्रेस से इस्तीफा तक देने पर विचार कर सकती हैं। वहीं तब हेम आर्य भी दल बदलुओं को टिकट देने का विरोध कर चुके हैं। ऐसे में भाजपा कांग्रेस के नाराज लोगों को अपने साथ लाने की कोशिश में है, ऐसे में नैनीताल सीट कांग्रेस के सामने बड़ा संकट बन रही है।
भाजपा से 2012 में ताल ठोंक चुके हैं हेम
बता दें कि हेम आर्य 2012 में भाजपा से कांग्रेस प्रत्याशी रहीं सरिता आर्य के विरोध में चुनाव लड़ चुके हैं। तब उनको हार का मुह देखना पड़ा था। वहीं 2017 के चुनाव में जब भाजपा ने कांग्रेस से आए संजीव आर्य को टिकट दे दिया तो हेम ने बगावत कर निर्दल ताल ठोंक दी थी। हालांकि तब भी उनको हार का मुह देखना पड़ा और एक साल बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। वहीं अब भाजपा में वापसी के बाद हेम का कहना है कि उन्होंने बिना शर्त वापसी की है। पार्टी जिसे भी प्रत्याशी बनाएगी उसे जिताने के लिए पूरी ताकत से जुटा जाएगा।