काबुल से लौटे पूर्व सैनिकों ने बताए हालात, बोले- अफगानिस्तान में पाकिस्तानी तालिबानी कर रहे लूटपाट

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अफगानिस्तान में पाकिस्तानी तालिबानी विदेशियों के लिए खतरा बने हुए हैं। वह स्थानीय लोगों के साथ मिलकर लूटपाट कर रहे हैं। वहीं असली तालिबानी भारत सहित दूसरे देशों के लोगों को एयरपोर्ट पहुंचा रहे हैं। तालिबानियों ने एक नंबर भी जारी किया है, लूटपाट होने पर वह तत्काल उन्हें नंबर पर कॉल करने को कह रहे हैं। यह कहना है कि अफगानिस्तान से सकुशल अपने घर पहुंचे दूनवासी पूर्व सैनिकों का। उन्होंने बुधवार को सब एरिया मुख्यालय में जीओसी सब एरिया मेजर जनरल  संजीव खत्री से मुलाकात कर अफगानिस्तान के हालात बयां किए।

पूर्व सैनिकों का कहना है कि अफगानिस्तान के हालात नाजुक हैं। तालिबानियों का पूरा फोकस विदेशियों को बाहर निकालना है। अफगानिस्तान में सलाउद्दीन ब्रिटिश कंपनी में काम करने वाले सेलाकुई निवासी कमल थापा ने बताया कि उनकी ड्यूटी ब्रिटिस एंबेसी की सुरक्षा में थी। 14 को तालिबानियों ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो वहां के जो लोकल सुरक्षा कर्मी बाहरी गेट पर तैनात थे, वह सब भाग गए। सिर्फ वहां वह और ब्रिटिश सेना के लोग बचे थे। स्थानीय सुरक्षाकर्मियों के भाग जाने के बाद तालिबानियों ने गेट पर कब्जा जमा लिया था। उन्होंने सभी को गेट के अंदर रहने को कहा। एक समय ऐसा लग रहा था कि अब वह भी नहीं बच पाएंगे, लेकिन वह लगातार सभी को अंदर ही रहने की बात दोहरा रहे थे। वह 21 तारीख तक वहीं रहे।

दूसरे दूनवासी नितेश कुमार ने बताया कि वह भी एक होटल में फंस गए थे। जब तालिबानियों का कब्जा हुआ तो वह डर गए, लेकिन तालिबानी उससे अदब से पेश आए और आराम से रहने को कहा। खाने-पीने की व्यवस्था के लिए भी वह पूछ रहे थे। तालिबानियों का  कहना था कि उन्हें बदनाम करने के लिए पाकिस्तानी तालिबानी स्थानीय लोगों के साथ लूटपाट कर रहे हैं। उन्होंने उन्हें एक फोन नंबर भी दिया। कहा कि अगर कोई लूटपाट करता है तो उन्हें कॉल करें, वह तत्काल उस जगह पर पहुंच जाएंगे। तालिबानियों ने खुद उन्हें अपनी सुरक्षा में एयरपोर्ट तक पहुंचाया।

पूर्व सैनिकों का कहना था कि तालिबानियों के कब्जे के बाद सभी विदेशी कंपनियों ने अपने सभी दस्तावेज जला दिए थे। केवल उनके पास नामों की लिस्ट थी जो उन्होंने एयर पोर्ट पर ब्रिटिश सैनिकों को दी थी। इसमें से कुछ के नाम नहीं थे, लेकिन बाद में ब्रिटिश सैनिकों ने अन्य दस्तावेज चेक कर उन्हें एयरपोर्ट में घुसने दिया। वहां से सभी को कतर पहुंचाया। जहां वे दो दिन रहे। यहां एयरफोर्स के जवानों ने पूरे दिन पांच दिन तक उनका ख्याल रखा। दो दिन बाद वहां से एयर इंडिया के फ्लाइट से भारत पहुंचे।

जीओसी सब-एरिया मेजर जनरल संजीव खत्री ने सभी पूर्व सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस लौटने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि तालिबानियों के कब्जे के बाद कैप्टन धनबहादुर थापा ने उन्हें सूचित किया था कि अफगानिस्तान में देहरादून के काफी पूर्व सैनिक फंसे हैं। उन्होंने 108 लोगों की लिस्ट उन्हें सौंपी थी। उनके फोन नंबर भी थे, लेकिन इसमें एक का ही नंबर मिल रहा था। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी, गोरखा ब्रिगेड के अध्यक्ष और जो अफगानिस्तान से लगातार  संपर्क में थे उनके एडिशनल जनरल को यह लिस्ट भेजी। दूसरी लिस्ट उन्होंने गोरखा रेजीमेंट मुख्यालय को भेजी, जो एनएसए अजीत डोभाल तक पहुंचाई गई। उन्होंने कहा कि उनके वापसी में पीएम, सीएम, और एनएसए का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस दौरान कर्नल जनरल स्टॉफ  कर्नल समीर शर्मा आदि मौजद रहे।

काबुल में फंसे तकरीबन सभी दूनवासी सुरक्षित अपने घरों तक पहुंच चुके हैं, लेकिन गल्जवाड़ी निवासी श्याम ठकुरी अभी तक अपने घर नहीं पहुंच पाए हैं। वह बामुश्किल 22 तारीख को काबुल से सुरक्षित निकल पाए हैं और आज कतर से दिल्ली के लिए उड़ान भरेंगे। अभी तक उनके काबुल में ही फंसे होने के कारण उनके पत्नी और अन्य परिजनों की सांसे अटकी हुईं थीं, लेकिन जैसे ही वह परिजनों को यह पता चला कि काबुल से वह निकल चुके हैं, उन्हें बड़ी राहत मिली। उनकी पत्नी रुचि ठकुरी ने बताया कि  फिलहाल वह कतर में हैं। आज रात को वह कतर से दिल्ली पहुंचेंगे।

विदित है कि तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा होने के बाद बड़ी संख्या में देश के साथ ही दून के लोग भी वहां फंस गए थे। इसमें से करीब साठ लोग सुरक्षित अपने घर पहुंच गए हैं। यह वह लोग थे, जो कब्जा होने से पहले 15 की रात को ही वहां से रेस्क्यू हो चुके थे। इसके बाद लोग ब्रिटेन, कतर, डेनमार्क या नेपाल के रास्ते सुरक्षित अपने घर पहुंच गए, लेकिन गल्जवाड़ी निवासी श्याम ठकुरी 22 तारीख तक काबुल में ही फंसे हुए थे।

शुरुआत में तो पत्नी और उनके परिजनों से उनसे फोन पर बात हो रही थी, लेकिन 17 के बाद तालिबानियों ने वहां इंटरनेट, फोन आदि सभी सर्विस बंद कर दी। इसके बाद उनकी पत्नी और परिजनों से उनकी बात नहीं हो पाई। इससे वे काफी परेशान थीं। श्याम ठकुरी एयरपोर्ट से कुछ ही दूर पर एक होटल में फंसे हुए थे जहां तालिबानियों ने कब्जा कर रखा था। वहां उन्हें खाने-पीने की दिक्कत हो रही थी। 22 तारीख को किसी तरह से वह एयरपोर्ट पहुंचने में कामयाब हो गए और वहां से ब्रिटेन और फिर कतर पहुंच गए। उनकी पत्नी ने रुचि ठकुरी ने बताया कि किसी तरह से जब उन्होंने संपर्क किया तो तब जाकर उनकी जान में जान आई। फिलहाल वह ब्रिटेन से कतर पहुंच चुके है, आज वह कतर से भारतीय विमान से दिल्ली पहुंचेंगे। बुधवार तक उनके घर पहुंचने की संभावना हैं।

 

 

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