काम पर ना लौटे मनरेगा कर्मियों पर सरकार सख्त , सेवा समाप्त करने के आदेश , मनरेगा कर्मी भी आर पार की लड़ाई के मूड में

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ग्रेड-पे, नियमितीकरण, समायोजन की मांग को लेकर बीते दो माह से हड़ताल पर गए प्रदेश के मनरेगा कर्मचारियों को हड़ताल वापस लेकर कार्यस्थल पर लौटने की अंतिम समय सीमा के बाद अब कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। इस संबंध में  मनरेगा के राज्य समन्वयक ने सभी मुख्य विकास अधिकारी को निर्देश जारी किए गए हैं। इधर, हड़ताल पर डटे कर्मचारियों ने मांग पूरी होने तक हड़ताल जारी रखने की चेतावनी दी है। राज्य में तकरीबन 1300 मनरेगा कर्मचारी बीते मार्च से मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे। इसके बाद बीते 15 मई को अपर मुख्य सचिव मनरेगा मनीषा पंवार ने कर्मचारियों को 15 दिन का समय देते हुए 29 मई तक ड्यूटी ज्वाइन करने के आदेश दिए। ऐसा नहीं होने पर सेवा समाप्त करने की चेतावनी दी। इसी क्रम में शुक्रवार को ग्राम्य विकास विभाग के राज्य महात्मा गांधी नरेगा प्रकोष्ठ के परियोजना समन्वयक मोहम्मद असलम ने सभी मुख्य विकास अधिकारी और जिला कार्यक्रम समन्वक को निर्देश दिए हैं कि 29 तक जिन कर्मचारियों ने प्रस्तावित विकल्पों का चयन कर कार्यस्थल पर योगदान की बात ईमेल के माध्यम से स्वीकार की है और किसी कारणवश भौतिक रूप से कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए वह 31 मई को कार्यस्थल पर उपस्थित हो सकते हैंउन्होंने कहा कि 29 को इन कर्मचारियों की सूचना प्रकोष्ठ कार्यालय को भेज दी गई हैं। कहा कि विकल्प का चयन कर योगदान न देने वाले कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने के आदेश जारी करते हुए रिक्त हुए पदों की संख्या अपर राज्य कार्यक्रम समन्वयक प्रकोष्ठ कार्यालय को भेजें। इधर, कर्मचारियों की हड़ताल  जारी रही। महात्मा गांधी नरेगा कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुंदमणी सेमवाल ने कहा कि शासन की ओर से मांग पूरी करने के आदेश के बाद ही हड़ताल समाप्त होगी। उन्होंने बताया कि कई बार मुख्यमंत्री आवास कूच के बाद कर्मचारियों को शासन ने कार्रवाई का भरोसा दिया, लेकिन पूरी नहीं हुई। उन्होंने कह कि शासन से मांग मंगवाने के लिए शासन से आरपार की लड़ाई लडेंगे। इस मौके पर सुबोध उनियाल, रुचि पांडे, रमेश गडिया, प्रवेश पोखरियाल, राजेंद्र नौटियाल, भानु उनियाल, अनूप नेगी, विजयपाल आदि मौजूद रहे

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