किस सीट से चुनाव लड़ेंगे मुख्यमंत्री, जल्द हो जाएगा साफ

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देहरादून। मुख्यमंत्री पद पर ढाई महीने से ज्यादा वक्त गुजार चुके तीरथ सिंह रावत किस सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, अब यह जल्द साफ हो जाएगा। माना जा रहा है कि दो सप्ताह बाद होने जा रही भाजपा की चिंतन बैठक में मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र को लेकर फैसला ले लिया जाएगा। ज्यादा संभावना इसी बात की है कि वह अपनी संसदीय सीट पौड़ी गढ़वाल के अंतर्गत आने वाली किसी विधानसभा सीट को तरजीह देंगे।

तीरथ सिंह रावत ने गत 10 मार्च को उत्तराखंड के 10वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। तीरथ अभी विधायक नहीं हैं, वह पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। संवैधानिक प्रविधान के मुताबिक उन्हें पद संभालने के छह महीने के भीतर विधायक बनना है। यानी विधायक बनने के लिए 10 सितंबर तक का ही वक्त तीरथ के पास है। इसमें से ढाई महीने से ज्यादा समय गुजर चुका है। इसका सीधा मतलब है कि जल्द ही उन्हें विधानसभा चुनाव में जाना होगा। कैबिनेट मंत्री व कोटद्वार के विधायक हरक सिंह रावत समेत आधा दर्जन विधायक उनके लिए सीट छोडऩे की पेशकश कर चुके हैं। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष उत्तराखंड के तीन दिनी प्रवास पर रहे। प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम भी उनके साथ थे। संतोष ने देहरादून में पार्टी की कोर ग्रुप की बैठक में भी हिस्सा लिया। तब समझा जा रहा था कि इस बैठक में तीरथ की विधानसभा सीट को लेकर फैसला हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। राष्ट्रीय महामंत्री संगठन के देहरादून प्रवास के दौरान पार्टी का पूरा फोकस सेवा ही संगठन कार्यक्रम पर रहा। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की दूसरी वर्षगांठ पर रविवार 30 मई को आयोजित कार्यक्रम में पार्टी ने गांवों को केंद्र में रख सेवाभाव को आगे बढ़ाया।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के मुताबिक 15 दिन के बाद पार्टी की चिंतन बैठक आयोजित की जाएगी। माना जा रहा है कि इसमें आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा व मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र को लेकर फैसला संभावित है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री तीरथ के लिए यमकेश्वर, चौबट्टाखाल, कोटद्वार विधानसभा सीटों पर चर्चा चल रही है। इनमें से यमकेश्वर सीट से ऋतु खंडूड़ी भूषण विधायक हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की पुत्री हैं। कोटद्वार से कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और चौबट्टाखाल से कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज विधायक हैं। अगर मुख्यमंत्री इन तीन में से किसी सीट से चुनाव लड़ते हैं, तो मौजूदा तीन विधायकों को किस तरह एडजस्ट किया जाए, पार्टी इस पर भी मंथन कर रही है।

वैसे, पार्टी का एक तबका इस बात पर भी जोर दे रहा है कि मुख्यमंत्री गंगोत्री सीट से चुनाव लड़ें। गंगोत्री के विधायक गोपाल रावत का पिछले दिनों ही निधन हुआ था और इस कारण यह सीट फिलहाल रिक्त चल रही है। अगर मुख्यमंत्री इस सीट से चुनाव मैदान में उतरते हैं तो किसी किसी भाजपा विधायक को सीट नहीं छोडऩी पड़ेगी। इस बीच मुख्यमंत्री की गंगोत्री क्षेत्र में सक्रियता और वहां गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों से मुुलाकात को भी इस बात से जोड़कर देखा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अपनी सीट के लिए गंगोत्री को भी तवज्जो दे सकते हैं।

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