कुंभ का मुख्य आकर्षण हैं भूसमाधि, 15 से 30 दिनों के लिए बड़े समारोह पूर्वक ली जाती हैं समाधियां

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हरिद्वार। कुंभ के मुख्य आकर्षणों में जूना अखाड़ा के नागा संन्यासी, पायलट बाबा और उनकी देशी-विदेशी शिष्याओं की भूसमाधि प्रमुख रही हैं। महामंडलेश्वर पायलट बाबा भू के साथ लंबी जल समाधि में भी पारंगत हैं।

अनेक कुंभ मेलों में भूसमाधि की अवधि में इतने विशाल यज्ञ हुए कि देखने वाले अचरज में पड़ गए थे। इस बार भी बाबा की जापानी शिष्या महामंडलेश्वर एकवा आइकवा के कुंभ में आने की संभावना है।

पायलट बाबा और आइकवा के अलावा महामंडलेश्वर श्रद्धा माता, महामंडलेश्वर चेतना माता, ऑस्ट्रेलिया निवासी बाबा की शिष्या सोमा माता, नैनीताल आश्रम के प्रमुख महंत मंगल गिरि कुंभ मेलों पर भूसमाधि ले चुके हैं। सभी ने कई कुंभ मेलों और प्रयाग अर्द्धकुंभ में भूसमाधि ली है।
 
15 से 30 दिनों के लिए बड़े समारोह पूर्वक ली जाती हैं समाधियां
समाधियां गहरा गड्ढा खोदकर 15 से 30 दिनों के लिए बड़े समारोह पूर्वक ली जाती हैं। आइकवा ने 1998 के हरिद्वार कुंभ में भूसमाधि ली थी। भूसमाधि की सामर्थ्य उत्पन्न करने के लिए साधक को कड़ा अभ्यास और जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

पायलट बाबा ने तो एकबार स्वयं दिल्ली में लंबी जलसमाधि लेकर संत जगत को आश्चर्य में डाल दिया था। हरिद्वार में इस बार समाधि होगी या नहीं, आइकवा के आने के बाद उसका पता चलेगा।

वहीं कुंभनगरी में इन दिनों हर तरफ अलग ही नजारा दिख रहा है। गंगा घाट पर दूर दूर से फैली रंग बिरंगी रोशनी श्रद्धालुओं को लुभा रही है। घाटों पर देर रात तक लोगों की चहल-पहल बनी हुई है।
महाकुंभ मेले में शहर की फिजा एकदम बदल गई है।

कुंभनगरी के सभी घाट, पुल और सड़कें एकदम बदली-बदली नजर रही हैं। गंगा किनारे बने घाटों पर लगी प्रतिमाएं आकर्षण का केंद्र बनी हुई हं। हर कोई सेल्फी लेते नजर आता है। घाटों पर बनाए गए सेल्फी प्वाइंट लोगों को खूब लुभा रहे हैं। वहीं फुव्वारों के नीचे लगी लाइटें जब पानी पर पड़ती हैं और हर कोई एक टक निहारने को मजबूर हो जाता है।

 

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