देहरादून। कुंभ को लेकर पुलिस विभाग ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने प्रथम चरण में सभी जिलों से निरीक्षक, उप निरीक्षक, मुख्य आरक्षी एवं आरक्षियों की ड्युटी कुभ के लिए लगा दी है। डीजीएलओ ने सभी जिलों के एसएसपी व एसपी को निर्देशित किया है पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी कुंभ के मद्देनजर एक दिसंबर से 30 अप्रैल तक लगाई गई हैं। सभी पुलिस अधिकारी व कर्मचारी एक दिसंबर को अपने आगमन की रिपोर्ट पुलिस महानिरीक्षक कुंभ मेला हरिद्वार को करेंगे। नामित कर्मी अपने साथ आवश्यकता कपड़े, बरसाती, हेलमेट, डंडा लेकर जाएंगे।
आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि कोई कर्मी कुंभ मेला ड्यूटी जाने में असमर्थ एवं इच्छुक न हो तो उसके स्थान पर इच्छुक कर्मी का नाम शामिल कर निर्धारित तिथि तक नामित बल को रवाना करते हुए मुख्यालय को भी अवगत कराएं। डीजीएलओ ने यह भी निर्देशित किया है कि सभी एसएसपी व एसपी अपने-अपने जनपदों से कुंभ मेला ड्यूटी के लिए भेजे जाने वाले पुलिसकर्मियों को कोविड-19 के मद्देनजर एवं कुंभ मेला में अनुशासित ढंग से ड्यूटी करने के लिए ब्रीफ करेंगे और इसके बाद रवाना करेंगे।
पुलिस मुख्यालय ने हेड कांस्टेबल को दी राहत
हेड कांस्टेबल पद पर पदोन्नत हुए हेड कांस्टेबल विशेष श्रेणी कांस्टेबल की ओर से पदोन्नत प्रक्रिया पर सवाल उठाने के बाद पुलिस मुख्यालय ने उन्हें राहत देने की कोशिश की है। पुलिस मुख्यालय की ओर से बुधवार को आदेश जारी किया गया है कि हेड कांस्टेबल पद पर पदोन्नत हेड कांस्टेबल विशेष श्रेणी कांस्टेबलों को चार महीने की जगह दो महीने का पदोन्नत प्रशिक्षण कराया जाएगा। इसके अलावा प्रशिक्षण प्रारंभ होने की तिथि को जो पदोन्नत कार्मिक 58 वर्ष की आयु पूर्ण कर रहे हो या जिनकी सेवानिवृत्त दो वर्ष के अंदर है, उनको प्रशिक्षण से मुक्त किया जाएगा।
दरअसल बीते नौ नवंबर को पुलिस मुख्यालय ने 221 कर्मचारियों के प्रमोशन की लिस्ट जारी की थी। इनमें कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल विशेष श्रेणी को हेड कांस्टेबल पद पर पदोन्नत किया गया था। इनमें कई ऐसे कर्मचारी भी हैं जिन्हें वर्ष 2010 में ज्येष्ठता के आधार पर हेड कांस्टेबल विशेष श्रेणी पर प्रमोशन दिया गया था। तब इन्होंने एक माह का प्रशिक्षण और दो माह का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था। इसके बाद से ये सब हेड कांस्टेबल के दायित्वों का निर्धारण करते चले आ रहे थे। अब 10 वर्षों बाद उन्हें दोबारा हेड कांस्टेबल बनाया जा रहा है। पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि पदोन्नति के आदेशों से उन्हें मानसिक आघात पहुंचा है। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि यह उनका प्रमोशन हुआ है या फिर डिमोशन। वह दस सालों से पुलिस रेग्युलेशन के अनुसार हेड कांस्टेबल के सारे काम कर रहे थे।