देहरादून। केदारनाथ में वायु सेना के मालवाहक हेलीकॉप्टर चिनूक की लैंडिंग के लिए पूर्व में बने हेलीपैड के विस्तारीकरण का कार्य शुरू हो गया है। इसके लिए 60 श्रमिक दो शिफ्ट में कार्य कर रहे हैं। मुख्य सचिव ओमप्रकाश की ओर से जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की लोनिवि शाखा को दस दिन के भीतर हेलीपैड तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
समुद्रतल से 11657 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत चल रहे पुनर्निर्माण कार्यो में तेजी लाने के लिए वहां भारी मशीनें पहुंचाई जानी हैं। इसी कड़ी में वायु सेना के मालवाहक हेलीकॉप्टर चिनूक की लैंडिंग के लिए पूर्व में बने हेलीपैड का विस्तार किया जा रहा है। वर्तमान में यह हेलीपैड 50 मीटर लंबा और 40 मीटर चैड़ा है। इसे सौ गुणा 50 मीटर के आकार में तैयार किया जाना है।
विदित हो कि वर्ष 2015 में इस हेलीपैड का निर्माण वायु सेना के मालवाहक हेलीकॉप्टर एमआइ-26 की लैंडिंग के लिए किया गया था। लेकिन, बाद में इसके आधे हिस्से पर गढ़वाल मंडल विकास निगम के 45 कॉटेज बना दिए गए। अब इन्हें हटाकर ही हेलीपैड का विस्तार किया जा रहा है। उम्मीद है कि जल्द चिनूक हेलीकॉप्टर केदारनाथ में उड़ान भरेगा। डीडीएमए की लोनिवि शाखा के अधिशासी अभियंता प्रवीन कर्णवाल का कहना है कि तय समय पर हेलीपैड बनकर तैयार हो जाएगा।
केदारनाथ पुनर्निर्माण में निभाएगा अहम भूमिका
अमेरिकी तकनीक से बना भारतीय वायु सेना का सबसे बड़ा मालवाहक हेलीकॉप्टर चिनूक समुद्रतल से 11657 फीट ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों में अहम भूमिका निभाएगा। वर्ष 2015 में वायु सेना के मालवाहक हेलीकॉप्टर एमआइ-26 ने भी आठ दिनों तक गौचर से चार डंफर व दो जेसीबी समेत कई भारी मशीनें और अन्य निर्माण सामग्री केदारनाथ पहुंचाई थी। इसके बाद पुनर्निर्माण कार्यों में काफी तेजी आ गई थी।
चिनूक हेलीकॉप्टर की विशेषताएं
-जरूरत पड़ने पर 11 टन तक भारी सामान ले जाने में भी सक्षम
-भारी सामान ऊंचे और दुर्गम इलाकों तक पहुंचाने में सक्षम
-किसी भी समय और किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है
-दो रोटर इंजन लगे होने के कारण काफी सुरक्षित है यह हेलीकॉप्टर