दो दिन पहले उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत पर आजकल खाली होने और पौधे लगाने के बयान के बीच त्रिवेंद्र सामने आए हैं। उन्होंने अपने अंदाज में कटाक्ष करते हुए कहा कि इस चुनावी बयार में हल्के-फुल्के और सूखे पत्ते इधर से उधर जाते हैं। जब पूर्व सीएम त्रिवेंद्र से कांग्रेस से आए नेताओं की वापसी की अटकलों पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, जब चुनावी बयार चलती है तो बयार में जो हल्के फुल्के सूखे पत्ते होते हैं। वो इधर से उधर उड़ते हुए चलते रहते हैं। उधर से हवा इधर चलती है तो इधर भी उड़कर चले आते हैं। यह चुनावी बयार का असर है। त्रिवेंद्र ने कहा कि विजय बहुगुणा ने कहा था कि कुछ जा रहे हैं तो हमारे कुछ आ भी रहे हैं। बहुगुणा सीनियर लीडर हैं। उनका पॉलिटिकल अनुभव है। उनकी बात का विश्वास करना चाहिए। आपको बता दें कि इससे पहले भी त्रिवेंद्र और हरक के बीच कई बार जुबानी जंग चली है। इससे पहले हरक की ढैंचा मामले में बयानबाजी के बीच त्रिवेंद्र ने कहा था कि जो गधा होता है, वह ढेंचू-ढेंचू करता है। हालांकि बाद में दोनों नेताओं के बीच यह जंग थम गई थी जो एक बार फिर शुरू हो गई है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान के बीच हरक का एक और बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि अगर त्रिवेंद्र भाई को हमारा पार्टी में आना अच्छा नहीं लग रहा था तो बता देते। एक दरवाजा बंद होता है तो बाकी खुले रहते हैं। हरक ने कहा कि जिस दिन प्रदेश अध्यक्ष, संगठन मंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष कोई बात बोलेंगे तो उस दिन पार्टी में जरूर अपनी बात रखूंगा।
हरक सिंह रावत ने कहा है कि छह साल हो गए हैं हमें। उस दिन त्रिवेंद्र भाई को यह बात कहनी चाहिए थी। उन्हें अगर हमारा भाजपा में आना अच्छा नहीं लग रहा था तो मना कर देते, नहीं आते हम। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि उन्होंने क्या कहा है लेकिन हम भाजपा के लिए बागी नहीं हैं।
हम कांग्रेस के लिए बागी हो सकते हैं लेकिन भाजपा के लिए तो हम लोकतंत्र के रक्षक हैं। विजय बहुगुणा की तारीफ के सवाल पर उन्होंने कहा कि हो सकता है कि त्रिवेंद्र के लिए वह तारीफ के काबिल हों। हो सकता है कि कल हम भी इस लायक हो जाएं।
हरक ने कहा कि मैं 40 साल से राजनीति कर रहा हूं। कई लोग भले ही खुद को 20 समझते हों लेकिन हम भी 19 हैं, 10 नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कई लोग भाग्य की खाते हैं तो कई लोग मेहनत की। कई लोगों ने कम खोदा लेकिन उन्हें ज्यादा पानी मिला और हमने ज्यादा खोदा लेकिन पानी कम आया। उनका इशारा त्रिवेंद्र के मुख्यमंत्री बनने को लेकर था। हालांकि उन्होंने खुलकर उनका नाम नहीं लिया।