कोविड कई लोगों ने अपनी नौकरी से हाथ धोया और मजबूरी में घर को लौटना पड़ा जिसके बाद घर से बाहर जिस चीज में महारथ हासिल थी वही काम दोबारा अपने ही घर में शुरू कर स्वरोजगार की शुरवात की और उसमे सरकार ने भी नियम कायदों से हटकर उनकी मदद की कोशिश की और आगे भी करने की बात की,जिन कामों को यही युवा बाहर जाकर करते थे वही काम अब अपने घर में रहकर करने में उत्तराखंड के पहाड़ो के युवा कोशिश कर रहे हैं बस जरूरत है तो थोड़ा सरकार से और मदद की जिससे इनको काम के लिये दोबारा घर छोड़ कर न जाना पड़े।
उत्तराखडं के लाखों युवा कोरोना काल में अपनी नौकरी से हाथ धो कर वापिस उत्तराखडं वापिस लौटे हैं जिनमे सबसे ज़्यदा तादाद होटल से जुड़े कामगारों की रही। कोरोना का सबसे बड़ा असर होटल व्यसाय पर पड़ा। आपको बता दें कि उत्तराखंड के पहाड़ों से सबसे अधिक युवा होटल व्यवसाय से जुड़े हैं ऐसे में सबसे ज़्यदा बेरोजगार हुये युवा इसी सेक्टर से वापिस उत्तराखंड के पहाड़ों पर लौटे।
उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसेण के कुछ युवा नौकरी जाने के बाद वापिस अपने पहाड़ पर आये और जिस काम में महारथ हासिल की थी उसी काम को दोबारा अपने ही पहाड़ो पर शुरू क्र स्वरोजगार की कोशिश में जुटे है,गैरसैण के कुछ युवा होटल लाइन में काम न मिलने पर अपने पहाड़ों में ही केटरिंग का काम शुरू क्र स्वरोजगार में जुटे हैं और चाहते है कि उनको दुबारा अपना घर छोड़ कर वापिस बाहर न जाना पड़े हालांकि पहाड़ो पर हमेशा काम न मिल पाने से थोड़ी निराशा इनको जरूर मिल रही है और इनकी सरकार से काफी अपेक्षाएं भी है कि इनकी रोज के काम की सरकार व्यवस्था कर पाए।
स्थानीय विधायक ने बताया कि ऐसे लोगों के लिये मुख़्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 150 कामो को चिन्हित किया गया है और इसमें कृषि से लेकर मत्स्य पालन और मुर्गी पालन से लेकर अनेक तरह के कामो को रखा गया है जो लम्बे समय तक के काम हैं और अगर ये लोग इन कामो को चूमते हैं सरकार इनको बिना ब्याज के ऋण दे रही है। राज्य सरकार ने अनेक राज्यों से लौटे युवाओं के लिये कई योजनाएं चलाई है क्योकि पहाड़ों में स्वरोजगार की कोई कमी नहीं है और अब यहां के युवाओं ने भी ये महसूस किया है कि अगर हम यहां के अनुरुरुप कार्य चुनते हैं तो उनको बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
वापस लौटे इन युवाओं ने जब स्वरोजगार शुरू किया तो सरकार ने भी नियमों से हटकर इनकी मदद शुरू की है। होटल लाइन से जुड़े युवाओं को सरकार ने राज्य स्थापना दिवस के मौके पर केटरिंग का सारा काम देकर इन युवाओं का हौसला बढ़ाने की कोशिश की है। आपको बता दें कि सरकार के कार्यक्रमों में केटरिंग के लिये टेंडर डाले जाने अनिवार्य होते है पर सरकार ने राज्य स्थापना दिवस पर इन स्थानीय युवाओ को बिना टेंडर के काम देकर इनका हौसला बढ़ाया। मुख़्यमंत्री त्रिवेंद्र सिहं रावत ने बताया कि आगे भी इन युवाओं का सरकार ध्यान रखेगी और वापस लौटे इन युवाओं को स्वरोजगार के लिये सरकार अनेक कदम उठा रही है जिससे ये युवा अपने घर पर ही रहकर स्वरोजगार कर पाएं और रोजगार के लिये इनको घर छोड़कर न जाना पड़े।
युवाओं द्धारा स्वरोजगार के प्रति जगी ये ललक उत्तराखंड के सुने पड़े पहाड़ों के लिये एक अच्छा संकेत है पर पुरे समय का रोजगार न होने से युवा थोड़े मायूस जरूर है उनको ये भी लगता है कि जल्द कोरोना के काले बादल छंट जायेगे जायेंगे और एक नया सवेरा होगा पर अब उत्तराखंड सरकार को भी इनकी मदद आगे बढ़कर करनी पडेगी तभी ये उत्साही युवा अपने पहाड़ पर रुक कर अपने पहाड़ को फिर खुशहाल बना पाएंगे।