- सिर्फ देहरादून/हल्द्वानी की ही बात करें तो प्रतिदिन तकरीबन 150-200 से ज्यादा ही साइकिलें बिक रही हैं। देहरादून में कई बार अच्छी साइकिलों का स्टाक भी ख़तम हो जाता है। जबकि लॉकडाउन से पहले तस्बीर कुछ और ही थी। तब बहुत कम साइकिलें ही शोरूमों से निकलती थी।
- माना जा रहा है साइकिल खुद को फिट रखने का एक अच्छा उपकरण है, वही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी और लोगों का पर्यावरण के प्रति जागरूक होना भी इसके प्रति लगाव का एक कारण है।
देहरादून : कोरोना ने जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है। समाज, व्यवहार और जीने का तरीका भी। लॉकडाउन के दौरान जब जिम और योगा सेंटर बंद हुए तो लोगों ने खुद को स्वस्थ रखने के लिए साइकिलिंग शुरू कर दी। इससे साइकिल का कारोबार भी अचानक से बढ़ गया। सिर्फ देहरादून/हल्द्वानी की ही बात करें तो प्रतिदिन तकरीबन 150-200 से ज्यादा ही साइकिलें बिक रही हैं। देहरादून में कई बार अच्छी साइकिलों का स्टाक भी ख़तम हो जाता है। जबकि लॉकडाउन से पहले तस्बीर कुछ और ही थी। तब बहुत कम साइकिलें ही शोरूमों से निकलती थी।
माना जा रहा है साइकिल खुद को फिट रखने का एक अच्छा उपकरण है, वही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी और लोगों का पर्यावरण के प्रति जागरूक होना भी इसके प्रति लगाव का एक कारण है।
शोरूमों में आजकल बढ़िया ब्रांड की महंगी महंगी (आठ से एक लाख रुपये तक) की साइकिल मिल रही हैं। आमतौर पर लोग 15 से 25 हजार तक की साइकिल खरीद रहे हैं।
छोटे काम में फायदेमंद भी
छोटे-मोटे काम के लिए बाइक से जाने के बजाय साइकिल का इस्तेमाल मुफीद समझा जा रहा है। लोग साइकिल से रोजाना सुबह के सैर तो कर ही रहे हैं अपने रोजमर्रा के काम भी साईकिल से ही निपटाना पसंद कर रहे हैं।
लॉकडाउन में तीन महीने तक जिम बंद रहे। ऐसे में घर पर ही एक्सरसाइज करना, साथ ही साइकिल से रोजाना सुबह एक से दो घंटे साइकिलिंग करके खुद को फिट रखने का चलन बढ़ा है।
शारीरिक दूरी व फिटनस बनाए रखने के लिए साइकिल बेहतर साधन है। कोरोना महामारी के माहौल में साइकिल की डिमांड बढ़ गई है। खास बात यह है कि युवा वर्ग अब साइकिलिंग के लिए जागरूक हुआ है।
साइकिलों के भी बढ़िया मॉडल
टेलविंड, किड्स,पोपाय, ब्रीज, डिब्लू, डिमानेक्स, फायरफॉक्स डार्ट, फायरफॉक्स निट्रो, फायरफॉक्स कोलाराडो, फायरफॉक्स वॉरियर, फायरफॉक्स एक्सिस