कोरोना की पहली लहर के बाद दूसरी लहर ने भी लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है। कोरोना से जहां लोगों की मौत हुई वहीं इससे लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी फर्क पड़ा है। कोरोना ने सबसे ज्यादा प्रभाव रोज कमा कर खाने वाले लोगों पर डाला है। दूसरी ओर पर्यटन इलाकों भी कोरोना संक्रमण का असर देखने को मिला है। सैलानी न आने के कारण यहां का कारोबार भी ध्वस्त हो गया है। उत्तराखंड का पर्यटन उद्योग भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। अब होटल मालिकों, सड़क किनारे के ढाबों, यात्राओं पर ले जाने वाले संचालकों और इस क्षेत्र के जुड़े अन्य लोगों की उम्मीदें राहत पैकेज से जुड़ी हैं। अनुमान है कि राज्य के पर्यटन उद्योग को वर्ष 2020 में 1600 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा, हमने अपने पर्यटन उद्योग में जान फूंकने के लिए राहत पैकेज के वास्ते मुख्यमंत्री को एक प्रस्ताव सौंपा है। उन्होंने कहा, पर्यटन हमारी रोजी रोटी है और महामारी के कारण यह कई स्तर पर प्रभावित हुआ है। इस वक्त राहत पैकेज इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को काफी राहत देगा। आईआईएम काशीपुर के एक अध्ययन का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा कि वैश्विक महामारी के कारण 2020 में उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग को 1600 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है और कम से कम 23000 लोगों का रोजगार चला गया है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक संक्रमण की दूसरी लहर से हुए नुकसान का आकलन अभी किया ही नहीं गया है। मंत्री ने कहा, संक्रमण की दूसरी लहर के कारण लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुंभ का आयोजन सीमित रखा गया, संक्रमण के कारण लगाई गई पाबंदियों से चार धाम यात्रा लगातार दूसरे वर्ष प्रभावित रही। पर्यटन उद्योग को इससे भारी धक्का लगा है। उन्होंने कहा कि संक्रमण की दूसरी लहर को देखते हुए पर्यटन के केन्द्र नैनीताल और मसूरी में पर्यटकों ने भरी संख्या में बुकिंग रद्द कराईं, टूर और ट्रैवेल क्षेत्र को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। राज्य में कई सप्ताह से कोरोना कर्फ्यू है इस लिए सड़कों से वाहन नदारत हैं। मंत्री ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि राज्य में कोविड कर्फ्यू समाप्त होने के बाद चार धाम यात्रा चरणबद्ध तरीके से शुरू की जाए।