देहरादून। संवाददाता। पहले हाईकोर्ट के आदेशों को दिखाया ठेंगा और सरकार के आदेशों को मानने से किया इंकार। निजी आयुष कालेजों की अगर यह मनमानी नहींं है तो और क्या है। इससे स्पष्ट होता है कि कोर्ट और सरकार से ऊपर हैं निजी आयुष कॉलेज।
बीते कल सरकार द्वारा निजी कालेजों को जारी किये निर्देशों के बाद आज जब आयुष छात्र अपना आंदोलन खत्म कर कालेजों में वापस लौटे तो इन कालेजों के प्रबन्धकों ने गेट पर ताला डाल दिया और छात्रों को कालेजों में अन्दर नहीं जाने दिया गया। निजी कालेजों के इस रवैये के खिलाफ छात्रों ने कालेज गेटों पर ही जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया जो समाचार लिखे जाने तक जारी था। छात्रों का कहना है कि अब उन्हे सरकार पर भी भरोसा नहीं रहा है।
फीस वृद्धि को लेकर छात्रों द्वारा खड़े किये गये आंदोलन के सामने आखिरकार सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और आयुष छात्रों से बढ़ी हुई फीस का आदेश आयुष सचिव द्वारा जारी करते हुए निजी कालेजों को हाईकोर्ट के आदेशों का अनुपालन करने के निर्देश कर दिये गये है। लेकिन यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या वह निजी कालेज जिन्होने हाईकोर्ट के आदेशों को ताक पर रखकर बढ़ाकर फीस वसूल की और सरकार को चेतावनी दी कि अगर फीस कम की गयी तो वह कालेज बंद कर देगें, अब सरकार के दिशा निर्देश और हाईकोर्ट के आदेश मानेंगे।
इन निजी कालेजों के प्रबन्धकों का साफ कहना है कि 80 हजार फीस लेकर वह कालेज नहीं चला सकते है। क्योंकि इससे उनके कालेज के खर्चे भी नहीं निकल पाते है। उन्होने सरकार को भी चेतावनी दी थी कि अगर फीस कम की गयी तो वह कालेज बंद कर देगें और सरकार खुद ही अपने कालेज खोल ले। अब तक इन कालेजों को सरकार का संरक्षण मिल रहा था तथा सरकार ने ही इनकी फीस 80 हजार से बढ़ाकर 2 लाख 15 हजार कर दी थी। अब जब सरकार ने साफ कर दिया है कि वह पूर्व निर्धारित 80 हजार ही फीस लें तथा जो बढ़ी हुई फीस ली गयी है उसे वापस कर दें जैसा कि हाईकोर्ट ने अपने 9 जुलाई व 9 अक्टूबर 2018 के आदेशों में कहा था। अब इन निजी कालेजों के सामने संकट की स्थिति पैदा हो गयी है। सरकार ने इन कालेजों को एक माह में हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने का समय देते हुए कहा कि अगर वह अभी भी मनमानी करते है तो उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही की जायेगी? सरकार के सख्त रूख के कारण अब यह निजी कालेज हैरान परेशान है।