देहरादून। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए उत्तराखंड सरकार अब प्रदेश में आइवरमेक्टिन दवा प्रत्येक परिवार को देगी। मुख्य सचिव ओम प्रकाश की ओर से इसका आदेश जारी कर दिया गया है। सरकार का कहना है कि 15 साल से अधिक उम्र वालों को तीन दिन के लिए यह दवा दी जा सकती है।
ठीक टीकाकरण की तरह ही संक्रमण की रोकथाम के लिए इस दवा का इस्तेमाल प्रदेश में किया जाएगा। मुख्य सचिव की ओर से जारी आदेश के मुताबिक प्रत्येक परिवार के लिए किट तैयार की जाएगी और स्वयं सहायता समूहों के जरिए यह किट प्रत्येक परिवार तक पहुंचाई जाएगी। इसके लिए गैर सरकारी संस्थाओं को प्रति किट एक रुपया दिया जाएगा। बताया गया कि राज्य स्तरीय तकनीकी परामर्श समिति की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद ही यह कदम उठाया गया है।
एक अभियान के तहत बांटी जाएगी दवा
आइवरमेक्टिन दवा को एक अभियान के रूप में बांटा जाएगा। इसमें ग्राम पंचायत से लेकर आंगनबाड़ी वर्कर, ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत अधिकारी सहित अन्य का सहयोग लिया जाएगा।
गोवा भी कर रहा है यह प्रयोग
गोवा सरकार ने पांच दिन के लिए प्रत्येक परिवार को आइवरकमेक्टिन दवा देने का फैसला किया है। गोवा के एक मंत्री ने ट्वीट कर यह जानकारी भी दी और इटली, स्पेन आदि में हुए अध्ययन का हवाला देते हुए कहा है कि यह दवा कोरोना में कारगर साबित हुई है। आइवरमेक्टिन मूल रूप से जानवरों में गोल कृमि आदि परजीवियों को खत्म करने वाली दवा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन जता चुका है एतराज
जिस तरह से रेमेडिसिविर को लाइफ सेविंग ड्रग नहीं माना गया है, उसी तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आइवरमेक्टिन के उपयोग के प्रति भी आगाह किया है। इसके बावजूूूद राज्य इस दवा के उपयोग को व्यापक स्तर पर प्रयोग की अनुमति दे रहे हैं। कारण यह भी हैं कि दवा को लेकर दोनों तरह के शोध सामने आए हैं।
यह रहेगी डोज
– 15+ की उम्र में- 12 मिलीग्राम की एक गोली सुबह और एक गोली शाम को खाना खाने केे बाद तीन दिन के लिए। इस हिसाब से किट में एक व्यक्ति के लिए छह गोलियां होंगी।
– 10 से 15 साल के बच्चों के लिए हर रोज 12 एमजी की एक गोली दिन में खाना खाने के बाद।
– दो से लेकर दस साल तक के बच्चों को डाक्टर की सलाह पर ही दवा दी जाएगी।
– दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और लीवर रोग से ग्रसित व्यक्तियों को यह दवा नहीं दी जाएगी।