गर्भवती महिलाओं को कोरोना जांच के लिए नहीं पड़ेगा भटकना, पीएचसी-सीएचसी पर जल्द शुरू होगा टेस्ट

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कोरोनाकाल में प्रसव को अधिक सुरक्षित बनाने व मातृ एवं शिशु मृत्यु दर नियंत्रित करने के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जा रही है। इसके तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर कोरोना की जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इससे रेफरल अस्पताल में पहुंचने से पूर्व ही गर्भवती के कोविड या नॉन-कोविड होने की जानकारी रहेगी। कोविड-अस्पताल में गर्भवती के भर्ती होने के समय को भी कम किया जाएगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक सोनिका ने कोरोनाकाल में सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव की व्यवस्थाओं की गुरुवार को समीक्षा की। उन्होंने सभी जिला, तहसीलस्तरीय अस्पताल व सरकारी मेडिकल कॉलेजों की महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों के साथ वर्चुअल बैठक की।

गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के प्रमुख अस्पतालों की विशेषज्ञों ने बताया कि अधिकांश मामलों में पीएचसी-सीएचसी से गर्भवती को प्रसव के लिए जिला महिला अस्पताल भेजा जा रहा है लेकिन वहां कोरोना जांच की व्यवस्था नहीं है। उनके रैपिड एंटीजन या आरटीपीसीआर जांच में वक्त लग जाता है जिससे प्रसव में खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में सीएचसी-पीएचसी में कोरोना जांच की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही कहा कि रेफरल अस्पताल को गर्भवती के स्वास्थ्य के बारे में कोई पूर्व सूचना नहीं होती जिससे जांच व व्यवस्थाओं में समय लगता है। मिशन निदेशक ने बताया कि सीएचसी-पीएचसी पर कोरोना जांच को ट्रूनेट मशीन उपलब्ध करा रहे हैं।  दून मेडिकल कॉलेज के महिला एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ.चित्रा जोशी ने कहा-संक्रमित महिला के प्रसव और नवजात की देखभाल को एसओपी तैयार की जा रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकारी महिला चिकित्सकों के साथ तकनीकी परामर्श व सलाह को एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए।

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