देहरादून। ‘यदि 2012 में थोड़ी हिम्मत हो जाती तो आज बात कुछ अलग होती।’ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के लिए संसदीय कार्यमंत्री का जिम्मा संभाल रहे कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने उपनेता प्रतिपक्ष करना माहरा की ओर से सदन में उठाए गए गैरसैंण मुद्दे पर ये बात कही। कौशिक ने कहा कि तब उन्होंने गैरसैंण राजधानी को लेकर व्यक्तिगत बिल पेश किया था। उन्होंने कहा कि गैरसैंण का विकास हमारी प्राथमिकता है।
कैबिनेट मंत्री कौशिक ने कहा कि गैरसैंण उत्तराखंड आंदोलन की भावना थी। सबकी भावना के अनुरूप वहां व्यवस्थाएं जुटी हैं। यह सभी की प्रतिबद्धता व संकल्प है कि वहां विधानसभा का एक सत्र हो। सत्तापक्ष व विपक्ष सभी की भावनाओं के अनुरूप वहां साल में एक सत्र जरूर आयोजित किया जाएगा।
इससे पहले उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने नियम 58 के तहत गैरसैंण में इस साल विस का कोई सत्र न होने का मसला उठाया। उन्होंने कहा कि गैरसैंण में कई सौ करोड़ की लागत से विधानभवन, आवास बन चुके हैं। पूर्व में ये तय हुआ था कि साल में वहां एक सत्र होगा, मगर पहली बार वहां इस साल सत्र नहीं बुलाया गया। यह आंदोलनकारियों व उत्तराखंडियत का अपमान है।
उन्होंने कहा कि आज हम सुविधाभोगी हो गए हैं। गैरसैंण में स्थिति अच्छी होने के बावजूद सत्र नहीं बुलाया गया। इससे सभी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष डॉ.इंदिरा हृदयेश ने कहा कि इस बारे में सरकार को आश्वासन देना चाहिए।