ग्लेशियरों की बर्फ पिघलने की गति धीमी होने से गंगा की मुख्यधारा में भी उतार-चढ़ाव

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मौसमी बदलाव का असर गंगा की मुख्य जलधारा पर भी पड़ने लगा है। उच्चहिमालयी क्षेत्रों में मौसम लगातार करवट बदल रहा रहा है। ग्लेशियरों की बर्फ पिघलने की गति धीमी होने से गंगा की मुख्यधारा में भी उतार-चढ़ाव आ रहा है।

हरिद्वार बैराज तक गंगा की मुख्य धारा में सुबह-शाम सात से 8200 क्यूसेक पानी पहुंच रहा है। जबकि दोपहर में जलस्तर बढ़कर 16000 क्यूसेक रिकार्ड हो रहा है। मार्च से मौसम खुलने पर ग्लेशियरों के पिघलने से गंगा का बहाव बढ़ेगा और अप्रैल तक करीब 30000 क्यूसेक पहुंच जाएगा।

हरिद्वार भीमगोड़ा में सिंचाई विभाग का ब्रिटिशकालीन बैराज बना है। हालांकि, पुराने बैराज की जगह 1985 में नया बैराज बन चुका है। बैराज की क्षमता साढ़े छह लाख क्यूसेक पानी को रोकने की है।

बैराज से ही गंगनहर और पूर्वी गंग नहर में सिंचाई और पीने के लिए पानी छोड़ा जाता है। गंग नहर की क्षमता भी 12 हजार क्यूसेक की है। बैराज का जलस्तर बढ़ने पर ही भगीरथी बिंदु से हरकी पैड़ी ब्रह्माकुंड के लिए गंगा की जलधारा पहुंचती है।

जबकि दोपहर में जलस्तर 16000 क्यूसेक आ रहा है। सुबह-शाम जलस्तर कम होने से गंग नहर में भी तीन से लेकर पांच हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। पानी डिमांड के हिसाब से छोड़ा जाता है।

निभर्य भारद्वाज बताते हैं, गंगा की मुख्य धारा के पानी का उतार चढ़ाव पूरी तरह मौसम पर निर्भर है। ग्लेशियरों के पिघलने पर ही पानी बढ़ता है। फरवरी तक उतार-चढ़ाव रहेगा और मार्च से गंगा में 30000 क्यूसेक पानी का बहाव शुरू हो जाएगा। 11 मार्च से ही कुंभ के शाही स्नान शुरू हैं।

 

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