उत्तराखंड में पिछले चार महीनों में सत्तारूढ़ भाजपा के अंदरूनी समीकरणों में बड़ा बदलाव हो गया है। प्रदेश सरकार से लेकर संगठन की कमान नए नेतृत्व को सौंप दी गई तो केंद्र सरकार में राज्य के प्रतिनिधि के रूप में भी अब नया चेहरा दिखेगा। विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पार्टी नेतृत्व द्वारा किए गए इस प्रयोग के नतीजे भविष्य में दिलचस्प हो सकते हैं।उत्तराखंड में बदलाव की शुरुआत इसी मार्च में हुई। सरकार की कमान संभाल रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने चार साल के कार्यकाल का जश्न मनाने की तैयारी शुरू कर चुके थे। गैरसैंण में विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था, अचानक केंद्रीय नेतृत्व ने पर्यवेक्षक देहरादून भेज राजनीतिक हलचल पैदा कर दी। आनन-फानन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र समेत तमाम मंत्री और विधायक देहरादून पहुंचे। दो-तीन दिन चली सरगर्मी के बाद त्रिवेंद्र की मुख्यमंत्री पद से विदाई हो गई। जिस अंदाज में त्रिवेंद्र गए, उसी अंदाज में मुख्यमंत्री के रूप में पौड़ी गढ़वाल सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत की ताजपोशी कर दी गई।
मुख्यमंत्री बदला तो पार्टी नेतृत्व ने लगे हाथ संगठन में भी फेरबदल कर डाला। जनवरी में प्रदेश अध्यक्ष के रूप में एक साल का कार्य पूर्ण करने वाले बंशीधर भगत को तीरथ सरकार में कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। त्रिवेंद्र कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्य मदन कौशिक को भगत की जगह संगठन की जिम्मेदारी सौंप विधानसभा चुनाव में जाने के लिए पार्टी ने उन पर भरोसा जताया। इस बार तीरथ के नेतृत्व में पूरा 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल वजूद में आया। कौशिक के अलावा त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल के सभी सदस्य फिर मंत्री बनाए गए। साथ ही चार नए चेहरे तीरथ की टीम का हिस्सा बन गए। तीरथ को 10 सितंबर तक विधायक बनने के लिए उप चुनाव लडऩा था, लेकिन भाजपा नेतृत्व ने संवैधानिक कारणों से उप चुनाव में अड़चन का हवाला देते हुए कार्यकाल के चार महीने पूरे होने से पहले ही उन्हें पद से हटने को कह दिया। जिस अप्रत्याशित तरीके से तीरथ की ताजपोशी हुई थी, लगभग उसी अंदाज में मुख्यमंत्री पद से उन्हें हटना भी पड़ा। चार महीने में दो मुख्यमंत्री बदले जाने के बाद भाजपा नेतृत्व ने उत्तराखंड का अब तक का सबसे युवा मुख्यमंत्री दिया। खटीमा से दूसरी बार विधायक बने पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही मुख्यमंत्री पद संभाला।
उत्तराखंड भाजपा के अंदरूनी समीकरणों में उलटफेर की जद में अब हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक आए हैं। मोदी सरकार में शिक्षा मंत्री निशंक को मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान बुधवार को पद से इस्तीफा देना पड़ा। उनके स्थान पर भाजपा नेतृत्व ने नैनीताल के सांसद अजय भटट को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके निशंक का उपयोग अब पार्टी किस भूमिका में करती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा, लेकिन इस बदलाव ने कम से कम राज्य के अंदर पार्टी के संतुलन पर गहरा असर डाल दिया है। अब क्षेत्रीय संतुलन के पैमाने पर कुमाऊं मंडल का पलड़ा भारी हो गया है। केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री अब कुमाऊं के हिस्से में हैं। जहां तक राज्य मंत्रिमंडल का सवाल है, इसमें दोनों मंडलों से बराबर, छह-छह विधायक शामिल हैं। उत्तराखंड में अगले वर्ष की शुरुआत में विधानसभा चुनाव हैं। इस चुनाव के नतीजे तय करेंगे कि भाजपा के अंदर की गणित में किए गए बदलाव से पार्टी को कितना फायदा होता है।