देहरादून। गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) के एक मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर दून की चिकित्सक को नौकरी दिलाने का झांसा देकर जालसाजों ने सात लाख 45 हजार रुपये ठग लिए। आरोपितों ने चिकित्सक को फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिया, जिसमें एक आइएएस अधिकारी के हस्ताक्षर थे। मामला तब खुला, जब वह नियुक्ति पत्र लेकर संबंधित संस्थान में पहुंचीं। आरोपितों के खिलाफ रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।
रायपुर थानाध्यक्ष अमरजीत सिंह रावत ने बताया कि पीड़ित चिकित्सक प्रतिमा सिंह दून के गंगोत्री विहार की निवासी हैं। फिलहाल वह गाजीपुर में तैनात हैं और वहीं रहती हैं। उनके पति अजय शंकर यहां राजपुर स्थित डीआइटी यूनिवर्सिटी में नौकरी करते हैं। होली में डॉ. प्रतिमा देहरादून आई थीं। इसी दौरान अजय शंकर का पुराना परिचित आशीष कुमार उनके घर आया।
बातचीत के दौरान आशीष ने डॉ. प्रतिमा को बताया कि उसके दोस्त अभय कुमार की स्वास्थ्य विभाग में अच्छी जान-पहचान है, वह देहरादून में उनके लिए नौकरी की व्यवस्था कर सकता है। इसके बाद आशीष ने डॉ. प्रतिमा की मुलाकात अभय से कराई। अभय ने उन्हें बताया कि नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) में असिस्टेंट डायरेक्टर की जरूरत है। इस पद के लिए आवेदन करने के नाम पर अभय ने डॉ. प्रतिमा से उनके दस्तावेजों की कॉपी ले ली। साथ ही नौकरी के लिए तकरीबन 10 लाख रुपये खर्च होने की बात कही। तीन दिन बाद आरोपितों ने चिकित्सक को नियुक्ति पत्र दे दिया।
नियुक्ति पत्र मिलने पर डॉ. प्रतिमा ने आरोपितों को अलग-अलग किस्तों में सात लाख 45 हजार रुपये दे दिए। इसके बाद भी आरोपित रुपयों की मांग करते रहे। चिकित्सक ने धन न होने की बात कही तो उन्होंने लोन लेकर रुपये देने को कहा। तब चिकित्सक को आरोपितों पर संदेह हुआ और वह एनपीपीए के दफ्तर पहुंचीं। वहां पता चला कि असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर कोई नियुक्ति नहीं की गई है। ठगी का पता चलने पर डॉ. प्रतिमा ने आरोपितों से रुपये वापस मांगे तो उन्होंने साफ इन्कार कर दिया।