देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चकराता विधानसभा में वर्चुअल एप के माध्यम से रैली की। सीएम ने अपने संबोधन से चकराता विधानसभा में चार मंडल के साथ साथ हजारों कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार किया। उन्होंने कहा कि चीन को एक ईंच भी जमीन नहीं लेने देंगे।
सीएम ने अपने संबोधन में चकराता विधानसभा में पिछले तीन साल में कराए महत्वपूर्ण कार्यों का जिक्र भी किया। कहा कि त्यूणी तहसील के 27 राजस्व ग्रामों को चकराता तहसील में सम्मिलित किया गया। नागथात, अटाल व नागथात लिफ्ट पेयजल योजनाओं के निर्माण की स्वीकृति दी गई। बुल्हाड़ में इंटर कॉलेज की स्थापना के साथ ही लाखामंडल को पर्यटन सर्किट से जोड़ा गया।
चकराता विधानसभा में तीन वर्ष में 30 करोड़ से अधिक की लागत के मोटर मार्ग के निर्माण कार्य के लिए धन स्वीकृत किया गया। लगभग दो दर्जन से अधिक नए संपर्क मोटर मार्गों की स्वीकृति भी दी गई। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत चकराता विधानसभा में एक दर्जन से अधिक सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है। विद्युतीकरण के क्षेत्र में भी जौनसार-बावर के खेड़े मजरों को भी जोड़ने का कार्य संपन्न हो चुका है।
वरिष्ठ भाजपा नेता एवं चकराता विधानसभा वर्चुअल संयोजक प्रताप रावत ने कहा सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की वर्चुअल रैली के माध्यम से कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। रैली में जिला पंचायत अध्यक्ष मधु चैहान, जिला अध्यक्ष शमशेर सिंह पुंडीर, मंडल अध्यक्ष अमर ङ्क्षसह चैहान, दाताराम शर्मा, मोनिका अग्रवाल, रतन सिंह चैहान, प्रवीण चैहान, प्रशांत भसीन, जनक सिंह चैहान, रण सिंह चैहान, कुंवर सिंह, दीवान सिंह, नैन सिंह राणा, तिलक सिंह चैहान, संजय शर्मा आदि मौजूद थे।
एक इंच जमीन भी नहीं लेने देंगे चीन को
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि चीन को यह समझना होगा कि आज का भारत 1962 का नहीं 2020 का है। हमारी सैनिकों की आत्मशक्ति मजबूत है और भारत अपनी एक इंच जमीन भी चीन को नहीं लेने देगा। रैली में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की 345 किमी सीमा चीन से मिलती है। लिहाजा सीमांत क्षेत्रों का सड़कों का जाल बिछाया गया है। लिपुलेख मार्ग के निर्माण में तेजी आई है।
सीमांत क्षेत्रों तक सड़क पहुंचने से स्थानीय लोगों को भी लाभ होगा। यह देश की सुरक्षा का भी मार्ग है। उन्होंने चीन को साम्यवादी एवं विस्तारवादी देश बताते हुए कहा कि उसकी सोच भी क्रूर है। विश्वासघात उसके रक्त में है और मानवता को आघात पहुंचाने वाली विचारधारा है। गलवन की घटना का जिक्र करते कहा कि चीन अब स्वीकार कर रहा है कि उनका एक कमांडर और करीब बीस सैनिक मारे गए हैं।