पिथौरागढ़। विगत पौने दो माह्र से बंद चीन सीमा को जोड़ने वाला मुनस्यारी-मिलम मार्ग आवाजाही के लिए खुल गया है। मार्ग पर कुछ स्थल ऐसे हैं, जहां पर आवाजाही जानलेवा बनी है।
जुलाई की भारी वर्षा से मुनस्यारी -मिलम मार्ग बंद हो गया था। मार्ग बंद होने से उच्च हिमालयी जोहार घाटी के 13 गांवों सहित आइटीबीपी की अग्रिम चैकियों, सेना कैंप व बीआरओ के कैंप तक आवाजाही प्रभावित थी। बीते माह नंदाष्टमी के मौके पर मार्ग में छिरकानी ग्लेशियर के टूटने से स्थिति अधिक खराब हो चुकी थी। मार्ग बंद होने के कारण अर्द्धसैनिक बल की अग्रिम चैकियों तक सामान पहुंचना भी मुश्किल हो रहा था। लोनिवि ने पैदल मार्ग मानवों के लिए खोल दिया गया है। अलबत्ता जानवरों के लिए अभी भी मार्ग नहीं खुला है।
जब तक जानवरों के लिए मार्ग नहीं खुलता है तब तक सामान की आपूर्ति बाधित रहेगी । राड़ा मानसिंह टॉप खतरनाक मुनस्यारी -मिलम मार्ग में राड़ा मानसिंह टॉप सबसे खतरनाक स्थल है। प्रतिवर्ष इस मार्ग पर लोनिवि लाखों रुपये मरम्मत के नाम पर व्यय करती है। राड़ा मानसिंह टॉप पर सुरक्षा के लिए रेलिंग तक नहीं है। इधर अब 13 गांवों के ग्रामीण शीतकालीन माइग्रेशन की तैयारी कर चुके हैं। ग्रामीण मय परिवार और अपने जानवरों के साथ आवाजाही करते हैं।
राड़ा मानसिंह के पास स्थिति बेहद खराब है। ग्रामीण इस मार्ग पर चलने से कतरा रहे हैं। मल्ला जोहार विकास समिति के अध्यक्ष श्रीराम धर्मशक्तू ने कहा है कि प्रतिवर्ष मार्ग में मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये व्यय करने के बाद भी सुरक्षा के लिए रेलिंग तक नहीं है। उन्होंने कहा है कि माइग्रेशन में एक भी व्यक्ति प्रभावित नहीं होना चाहिए।
इन गांवों के ग्रामीण करेंगे माइग्रेशन मिलम, ल्वां, टोला, गनघर, पांछू, खैंलाच, मर्तोली, रिलकोट,बुगडियार, बिल्जू, बुर्फू ।