कोरोना जांच घोटाला, कर्मकार बोर्ड विवाद व सरकार की नीतियों पर हाईकोर्ट की सख्ती ने भाजपा के माथे पर बल डाल दिए हैं। ऐन चुनावी साल में उभरे इन मुद्दों से भाजपा फिलहाल सुरक्षात्मक मुद्रा में दिख रही है। संगठन को चिंता है कि उसे चुनावी तैयारी पर खर्च करने वाली ऊर्जा, ये मुद्दे सुलझाने पर खर्चनी पड़ रही है। एक वरिष्ठ नेता ने माना कि वास्तव में तीनों ही विषय सरकार और संगठन को असहज करने वाले हैं। लेकिन, इससे निपटने के लिए भी रणनीति तैयार की जा रही है, जिससे जनता के सामने विपक्ष के प्रचारतंत्र को कमजोर किया जा सके।
चुनौती 1: कोरोना से उत्तराखंड में करीब सात हजार मौत हो चुकी हैं और बड़ी संख्या में लोग बीमार रहे। ऐसे में कोरोना जांच घोटाले की वजह से सरकार की प्रतिष्ठा पर आंच आ रही है। भाजपा को यह साबित करने में लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं कि घोटाले में सरकार की लापरवाही नहीं है बल्कि सरकार ने तत्काल जांच बिठाकर संवेदनशीलता का परिचय दिया है।
चुनौती 2: कर्मकार बोर्ड में अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल खुद सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ, श्रम मंत्री हरक सिंह लगातार सत्याल और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत पर सवाल उठा रहे हैं। तीनों का यह एंगल भाजपा का ही सीना छलनी कर रहा है।
चुनौती 3: विपक्ष शुरू से कह रहा है कि प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। हाईकोर्ट ही सिस्टम को ठीक से चला रहा है। अब कोरोना में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और चारधाम यात्रा पर कोर्ट के हालिया कड़े रुख से विपक्ष को फिर सवाल उठाने का मौका मिल गया है। अदालत के फैसलों को भाजपा किस प्रकार सुशासन से जोड़ पाती है, यह भी कम चुनौती नहीं होगी।
भाजपा की कलई खुल चुकी है। कोरोना जांच घोटाला मानवता की हत्या से कम अपराध नहीं। भ्रष्टाचार के आरोप भी विपक्ष नहीं बल्कि भाजपा के मंत्री-दायित्वधारी ही उठा रहे हैं। कांग्रेस इन सभी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएगी।
प्रीतम सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस