हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रदेश के 500 करोड़ रुपये से अधिक के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने एसआईटी से पूछा कि घोटाले की जांच की रफ्तार धीमी क्यों है? न्यायालय ने जांच को शीघ्रता से करने के निर्देश दिए। अगली सुनवाई के लिए 19 मई की तिथि नियत की गई है। सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई।
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान एसआईटी की ओर से जांच रिपोर्ट पेश की गई। इसमें कहा गया है कि एसआईटी पांच समाज कल्याण अधिकारियों के खिलाफ केस चलाना चाह रही है, लेकिन उसे अब तक सरकार द्वारा अनुमति नहीं दी गई है। इसके जवाब में सरकार की तरफ से पक्ष रखते हुए स्पेशल काउंसिल के वरिष्ठ अधिवक्ता पुष्पा जोशी व ललित सामन्त ने कहा कि सरकार ने उक्त अनुमति दे दी है, जिस पर कोर्ट ने सरकार से शपथपत्र पेश करने को कहा है।
याचिकाकर्ता उठा चुका है सीबीआई जांच की मांग
देहरादून निवासी रवीन्द्र जुगरान व अन्य की ओर से मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति का घोटाला वर्ष 2005 से किया जा रहा है। यह घोटाला करीब 500 करोड़ रुपये से अधिक है। याची ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। आरोप है कि छात्रवृति का पैसा छात्रो को न देकर स्कूलों को दिया गया या उन लोगों को दे दिया गया है, जो उस स्कूल के छात्र थे ही नहीं। बुधवार को सुनवाई में कोर्ट ने मामले की जांच शीघ्रता से करने के निर्देश दिए।