जंगलों की आग के दुष्परिणामों पर शोध करेगा एरीज,,पर्यावरण बचाने को बनेगी ठोस नीति

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जंगलों में लगी आग से मनुष्य ही नहीं बल्कि जीव जंतु और पर्यावरण पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इसी असर को जांचने के लिए आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) कुमाऊं क्षेत्र में जंगलों की आग से उठे धुएं और उसके दुष्परिणामों पर शोध करेगा

एरीज के वरिष्ठ वायुमंडल वैज्ञानिक डॉ. मनीष नाजा बताते हैं कि सामान्य रूप से वायुमंडल में ब्लैक कार्बन की मात्रा 500 से 1500 नैनोग्राम (ng/m3) के बीच होती है, जो इस बीच बढ़कर करीब 12 हजार नैनोग्राम हो गई है। इसी तरह ओजोन की मात्रा जो सामान्य रूप से 40 से 50 पीपीबीवी (PPBV) होती है वह बढ़कर 115 पीपीबीवी मापी गई है। यह हिमालय के लिए घातक है। उन्होंने बताया कि जंगलों में लगी आग के बाद से ही एरीज के वैज्ञानिक वायुमंडल पर नजर रख रहे हैं। हर रोज वायुमंडल में फैली गैसों की मात्रा का आकलन किया जा रहा है।

डॉ. नाजा बताते हैं कि वायुमंडल में विभिन्न गैसों में हुई वृद्धि का दुष्प्रभाव मानव के अलावा जीव जंतुओं व पेड़ पौधों की बढ़त पर भी पड़ रहा है। डॉ. नाजा का कहना है कि ग्लेशियरों पर भी इसके दूरगामी प्रभाव पड़ना तय है। मौजूदा हालात को देखते हुए एरीज कुमाऊं क्षेत्र में दो दशकों में जंगलों में लगी आग से विसर्जित गैसों की मात्रा पर शोध करेगा। ताकि इससे होने वाले नुकसान की जानकारी मिले और शोध रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जा सके, जिससे हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार ठोस नीति बना सके।

कुल जली 24 लाख से ज्यादा की संपत्ति
वनाग्नि की घटनाओं से होने वाले नुकसान का आकलन रुपयों में भी किया जा रहा है। अल्मोड़ा जनपद के अल्मोड़ा वन प्रभाग में अभी तक 722132 लाख, सिविल सोयम वन प्रभाग में 325550 लाख, चंपावत वन प्रभाग में 107160 लाख, पिथौरागढ़ वन प्रभाग में 803400 और बागेश्वर वन प्रभाग में 538020 लाख रुपये का नुकसान हो गया है। कुल 2496262 लाख का नुकसान का आकलन है।

 

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