देहरादून। प्रदेश में जीनोम सिक्वेंसिंग की जांच के लिए अब प्रदेश सरकार ने नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) से उत्तराखंड में पूरी लैब स्थापित करने का अनुरोध किया है। इससे कोरोना के नए वेरियंट की पहचान करने में आसानी होगी। सरकार को उम्मीद है कि केंद्र से इसकी जल्द अनुमति मिल जाएगी।
प्रदेश में इस समय कोरोना संक्रमण के नए रूप डेल्टा प्लस के प्रसार का खतरा बना हुआ है। हालांकि, उत्तराखंड में अभी तक इसके किसी मामले की कोई पुष्टि नहीं हुई है। प्रदेश में अभी तक कोरोना वेरियंट की पहचान के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। यहां से वेरियंट की पहचान के लिए सैंपल दिल्ली और महाराष्ट्र की एनसीडीसी की लैब में भेजे जाते हैं। यहां से रिपोर्ट मिलने में खासा समय लगता है। इससे नए वेरियंट की पहचान और उस पर नियंत्रण पाने के लिए योजना देर से बन पाती है।
अभी तक उत्तराखंड में कोरोना के डेल्टा वेरियंट की पहचान हुई है और दूसरी लहर में यही वेरियंट काफी मारक भी साबित हुआ था। अब जिस तरह से नए वेरियंट डेल्टा प्लस के संक्रमण को लेकर चिंता जताई जा रही है, उसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने एनसीडीसी से प्रदेश में एक लैब स्थापित करने का अनुरोध किया है। हालांकि, हाल ही में दून अस्पताल में भी जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए मशीन खरीदी गई है, जिसे लगाने का काम चल रहा है। इसे स्वास्थ्य विभाग के ही चिकित्सक चलाएंगे। वहीं, प्रदेश सरकार द्वारा लैब स्थापित करने का प्रस्ताव अभी केंद्र में विचाराधीन है।
सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने कहा कि बढ़ते मामलों को देखते हुए एनसीडीसी की लैब उत्तराखंड में स्थापित करने का अनुरोध किया गया है। इस पर जल्द केंद्र से जवाब मिलने की उम्मीद है।