देहरादून। ऋषिगंगा व तपोवन विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना में मची तबाही का असर निचले क्षेत्रों में भी देखने को मिला। खासकर तपोवन बांध टूटने से अलकनंदा नदी के जलस्तर में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी पाई गई। जोशीमठ में दिन के 11 बजे ही जलस्तर खतरे के निशान से पांच मीटर से अधिक चढ़ गया था। यह स्तर वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के मुकाबले भी करीब तीन मीटर अधिक रहा।
जलविद्युत परियोजनाओं को पहुंचे नुकसान के तुरंत बाद ही केंद्रीय जल आयोग ने नदी के जलस्तर की सघन निगरानी शुरू कर दी थी। आयोग के अधीक्षण अभियंता राजेश कुमार के मुताबिक, केदारनाथ आपदा के दौरान 28 जून 2013 को जोशीमठ में नदी का स्तर 1385.54 मीटर पर पहुंच गया था। यहां पर खतरे का जलस्तर 1382 मीटर है और रविवार को दिन के 11 बजे यह स्तर 1388.65 मीटर पर पहुंच गया था। इसके बाद चमोली के पास छिनका क्षेत्र में भी दोपहर करीब एक बजे जलस्तर सर्वाधिक 1004.50 मीटर पर पाया गया। नंदप्रयाग में जलस्तर चढने में दोपहर दो बजे तक का समय लगा और कर्णप्रयाग में तीन बजे के आसपास जलस्तर उच्च पाया गया। हालांकि, रुद्रप्रयाग आते-आते पानी का वेग सामान्य स्थिति में आ गया। इससे उलट श्रीनगर व इससे निचले इलाकों में पानी के स्तर में कमी आ गई। इसकी बड़ी वजह रही प्रशासन की सतर्कता। क्योंकि जोशीमठ की तरफ से अत्यधिक मात्रा में जलप्रवाह की आशंका को देखते हुए श्रीनगर में स्थिति जलविद्युत परियोजना से पानी पहले ही छोड़ दिया गया था। श्रीनगर में दोपहर एक बजे जलस्तर 533.80 मीटर रहा और पानी छोड़े जाने के बाद दोपहर तीन बजे यह स्तर घटकर 531.18 मीटर रह गया था।
यह रहा पानी का स्तर
स्थल, 11 बजे, 12 बजे, 01 बजे, 02 बजे, 03 बजे, 04 बजे
जोशीमठ, 1388.65, 1377.20, 1376, 1377.80, 1377.30, 1377.60
छिनका, 1000.97, 1000.98, 10004.50, 1001.20, 1001.10, 1001.02
नंदप्रयाग, 848.35, 850.30, 850.30, 849, 848.80
कर्णप्रयाग, अनुपलब्ध, अनुपलब्ध, 749.24, 749.24, 752.40, 751.30
एक दिन पहले का जलस्तर
स्थल, 11 बजे, 12 बजे, एक बजे
जोशीमठ, 1372.56, 1372.59, 1372.58
छिनका, 1000.84, 1000.85, 1000.92
नंदप्रयाग, 848.36, 848.35, 848.30
कर्णप्रयाग, अनुपलब्ध, अनुपलब्ध, 749.25